देहरादून। अनीता रावत
उत्तराखंड में निजी अस्पतालों के संचालकों, डाक्टरों और स्टाफ की ओर से ही जारी हड़ताल से आमजन परेशान है। वहीं मरीजों को दूसरे प्रदेशों में जाकर इलाज कराना पड़ रहा है। प्रदेश सरकार की ओर से क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट लागू करने के विरोध में निजी अस्पतालों के डॉक्टर्स और स्टाफ हड़ताल पर हैं। कई दिन से चल रही इस हड़ताल का असर अब आमजन पर भी पड़ने लगा है। सरकारी अस्पतालों में लंबी लाइनें लगने के साथ ही रोजाना मरीजों के भीड़ उमड़ रही है। बदल रहे मौसम के साथ ही कई बीमारियों के मरीजों की लगातार संख्या बढ़ रही है। वहीं सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों को भी व्यवस्थाएं बनाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उनका कहना है कि सुविधाएं कम होने के कारण और स्टाफ की कमी के कारण भी समय से मरीजों का वह इलाज करने में जुटे हुए हैं, लेकिन मरीजों की संख्या अधिक होने के कारण थोड़ी बहुत परेशानी भी सामने आ रही है। इधर निजी अस्पतालों के डॉक्टर और उनका स्टाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए जुलूस, नारेबाजी, धरना-प्रदर्शन के साथ ही पुतले फूंक रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार जबरन उन पर एक्ट थोप रही है, जिसका लगातार वह विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार की मनमर्जी नहीं चलने देंगे। इससे जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा और महंगा इलाज भी उन्हें कराना पड़ेगा। इसलिए वह इसका विरोध कर रहे हैं। उन्होंने आम जनता से भी हो रही परेशानियों के लिए माफी मांगी। प्रदेश भर में हो रहे विरोध-प्रदर्शन में डॉक्टर देहरादून, ऋषिकेश, हरिद्वार, रामनगर, नैनीताल, कोटद्वार, रुड़की, विकासनगर, काशीपुर, पौड़ी, रुद्रपुर, नैनीताल, हल्द्वानी के अलावा शहर के अन्य शहरों में भी प्रदर्शन कर रहे हैं। इससे आमजन को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।