देहरादून। अनीता रावत
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश के आयुष विभाग की होम्योपैथी यूनिट द्वारा विश्व होम्योपैथिक दिवस मनाया गया। जिसके तहत बुधवार को ब्रह्मपुरी स्थित कुष्ठ कॉलोनी और पंख द क्रिएटिव स्कूल में चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में 185 रोगियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया।
इस दौरान लोगों को होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति को लेकर जागरूक किया गया,साथ ही उन्हें स्वच्छता के प्रति जागरूक किया गया। इस अवसर पर अपने संदेश में एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने कहा कि भारत को प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों की अतुलनीय विरासत प्राप्त है। जिसमें आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्धा और होम्योपैथी चिकित्सा पद्धतियां शामिल हैं। एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो.रवि कांत ने कहा कि मरीजों के लिए आयुष आधुनिक चिकित्सा के साथ ही उपचार पद्धति के तौर पर बेहतर विकल्प है। उन्होंने कहा कि संस्थान इन तमाम प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों को आगे बढ़ाने और इनमें अनुसंधान के लिए कार्य करेगा, जिससे जन सामान्य को इनका लाभ मिल सके। निदेशक प्रो.रवि कांत ने बताया कि होम्योपैथी के जनक डॉ. हैनीमैन के जन्मदिन को विश्व होम्योपैथी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
शिविर में डॉ. रविंद्र अंथवाल और डॉ. वैशाली गोयल ने 185 रोगियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया। उन्होंने बताया कि शिविर में अस्थमा, त्वचा रोग, गठिया, पेट विकार, स्त्री रोग, बुखार आदि से ग्रस्त रोगियों का उपचार किया गया व दवाइयां और स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता सामग्री वितरित की गई।
आयुष विभागाध्यक्ष प्रो. वर्तिका सक्सेना ने बताया कि आयुष को बढ़ावा देने के लिए एम्स संस्थान द्वारा ऐसे जागरूकता शिविरों का आयोजन नियमिततौर पर किया जा रहा है। इस मौके पर प्रमोद नेगी, हेमा बिष्ट,अलंकृता बनर्जी, राजेंद्र आदि ने सहयोग किया।