सिंगापुर। नए विश्व चैंपियन डी गुकेश के लिए करोड़पति बनने का तमगा बेशक बहुत मायने रखता है। लेकिन वह भौतिक लाभ के लिए नहीं खेलते बल्कि इसका आनंद उठाने के लिए खेलते हैं। वह इस लगाव को तब से बरकरार रखने में कामयाब रहे हैं जब शतरंज बोर्ड उनके लिए सबसे अच्छा खिलौना हुआ करता था। यह पूछे जाने पर कि करोड़पति होना उनके लिए क्या मायने रखता है, तो गुकेश ने एक साक्षात्कार के रूप में शतरंज की विश्व संस्था फिडे को बताया, यह बहुत मायने रखता है। जब मैं शतरंज में आया तो हमें एक परिवार के रूप में कुछ मुश्किल फैसले लेने पड़े। मेरे माता-पिता वित्तीय और भावनात्मक कठिनाइयों से गुजरे थे। अब, हम अधिक सहज हैं और मेरे माता-पिता को उन चीजों के बारे में सोचने की जरूरत नहीं है। वह हमेशा याद रखने की कोशिश करते हैं कि जब उसे अपना पहला शतरंज बोर्ड मिला था तो उन्होंने यह खेल क्यों खेलना शुरू किया था। नए विश्व चैंपियन बने गुकेश ने कहा, व्यक्तिगत रूप से मैं पैसे के लिए शतरंज नहीं खेलता। मैं अब भी वही बच्चा हूं जिसे शतरंज पसंद है। यह सबसे अच्छा खिलौना हुआ करता था। चेन्नई के 18 वर्षीय गुकेश अब 11.45 करोड़ रुपये अधिक अमीर हो गए हैं जो उन्हें फाइनल में चीन के डिंग लिरेन को हराने के लिए फिडे से पुरस्कार राशि के रूप में मिलेगा। गुकेश के पिता रजनीकांत ने अपने बेटे के साथ सर्किट पर जाने के लिए ‘ईएनटी सर्जन’ के तौर पर करियर छोड़ दिया था जबकि उनकी मां पद्मकुमारी एक माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैं जो परिवार की एकमात्र कमाने वाली बन गईं।
विश्व चैंपियन के पिता उनके प्रबंधक की भूमिका निभाते हैं, उनकी सभी ऑफ-बोर्ड गतिविधियों का ध्यान रखते हैं और उन्हें खेल पर ध्यान केंद्रित करने देते हैं जबकि उनकी मां भावनात्मक और आध्यात्मिक शक्ति का स्तंभ है। गुकेश ने कहा, मां अब भी कहती हैं, मुझे यह जानकर खुशी होगी कि तुम एक महान शतरंज खिलाड़ी हो, लेकिन मुझे यह सुनकर अधिक खुशी होगी कि तुम एक महान व्यक्ति हो। अभी अपनी किशोरावस्था में गुकेश को लगता है कि खेल के एक छात्र के रूप में वह जितना अधिक शतरंज के बारे में सीखेंगे, उतना ही पता चलेगा कि वह कितना कम जानते हैं।