सभी आश्रमों का आधार है गृहस्थ आश्रम : भागवत

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हल्द्वानी। अनीता रावत
परिवार सद्गुणी होने पर इसका असर समाज और राष्ट्र पर पड़ता है। गृहस्थ आश्रम सभी आश्रमों का आधार है। यह बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक डॉ. मोहन भागवत ने रविवार को आम्रपाली संस्थान के परिसर में कहीं।


तीन दिवसीय कार्यक्रम के दूसरे दिन अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि परिवार सामाजिक, आर्थिक और संस्कार से जुड़ी इकाई है। संघ से जुड़े परिवार अपने स्तर पर सुधार लाने का प्रयास करें। अपनी परंपराओं को अपनाएं, फिर अपने आस पड़ोस वालों को बताएं। इससे समाज में सुधार आएगा। परिवार सद्गुणी होने पर इसका असर समाज और राष्ट्र पर पड़ता है। समाज सुधरेगा तो राष्ट्र में जागृति आएगी। संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने गृहस्थ व्यक्ति पर घर के पढ़ने वाले, वृद्ध और संन्यासियों की जिम्मेदारी होने की बात कही। उन्होंने कहा कि परिवार अपनेपन से जोड़ता है। करीब एक घंटे तक चला संबोधन परिवार और व्यक्तियों के सामाजिक दायित्वों, संस्कृति पर केंद्रित रहा। उन्होंने कहानियों और उदाहरणों से समाज के प्रति जिम्मेदारियों को लेकर जागरूक किया। उन्होंने मानव सेवा पर जोर देते हुए कहा कि नर सेवा करो, ईश्वर को भोग लग जाएगा। साथ ही पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधरोपण करने का भी संदेश दिया। इस मौके पर क्षेत्रीय संघचालक सूर्य प्रताप, प्रांत संघचालक डॉ.राकेश भट्ट, विभाग संघचालक डॉ.राम उजागर, जिला संघचालक डॉ.नीलाम्बर भट्ट, नगर संघचालक विवेक कश्यप सहित अन्य मौजूद रहे।

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