प्रयागराज। सनातन के गर्व के महापर्व महाकुम्भ का तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण मौनी अमावस्या का महास्नान बुधवार को होगा। इसके साथ ही सभी 13 अखाड़े संगम पर दूसरा अमृत (पूर्व में शाही) स्नान करेंगे। अखाड़ों के साथ देश और दुनिया के कई अन्य देशों से आए करोड़ों श्रद्धालु इस महापर्व के भागीदारी बनेंगे। प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने महास्नान की सभी तैयारियां पूरी करने का दावा किया है हालांकि पिछले चार दिनों से अनुमान के विपरीत लगातार आ रहे श्रद्धालुओं की वजह से मेला प्रशासन को भीड़ नियंत्रण का अपना प्लान पहले ही लागू करना पड़ा है।
महाकुम्भ 2015 का शुभारंभ 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के पहले स्नान के साथ हुआ था। दूसरे दिन यानी 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर महाकुम्भ का दूसरा और अखाड़ों का पहला अमृत स्नान हुआ था। संगम और उससे सटे गंगा के 12 किलोमीटर लंबे घाटों पर 13 जनवरी से शुरु हुआ स्नान का क्रम अब तक नहीं टूटा, दिन हो रात श्रद्धालु पुण्य की डुबकी लगा रहे हैं। बुधवार को मौनी अमावस्या पर श्रद्धालुओं के स्वागत और संतों के अभिनंदन के लिए प्रदेश सरकार की ओर से हेलीकॉप्टर के जरिए पुष्प वर्षा की जाएगी। बुधवार की भोर के साथ ही स्नान शुरू हो जाएगा। मेला प्राधिकरण का दावा है कि 10 करोड़ से अधिक श्रद्धालु संगम स्नान करेंगे। इसके लिए सभी तैयारी पूरी कर ली गई है। मेला प्रशासन ने मकर संक्रांति पर श्रद्धालुओं के रेले को देखते हुए इस बार अखाड़ों के स्नान क्रम को थोड़ा पहले कर दिया है।
अखाड़ों की छावनी में अमृत स्नान की तैयारी शुरू हो गई है। रात दो बजे पुकार के साथ सभी नागा साधु-संत धर्म ध्वजा के नीचे आएंगे और सबसे पहले सूर्य प्रकाश की पूजा करेंगे। इसके बाद भस्मी स्नान कर खुद को स्वच्छ कर अखाड़े छावनी से अमृत स्नान के लिए निकलेंगे। इस बार प्रशासनिक व्यवस्था में अखाड़ों के आवागमन को अलग रखा गया। त्रिवेणी पांटून पुल से अखाड़ों को मेला क्षेत्र में भेजा गया और दूसरे पुल से वापस किया गया। जिससे एक समय में अखाड़े आमने-सामने न हों। मौनी के स्नान को लेकर अखाड़ों के संतों में जितना उत्साह दिखाई दिया, उससे कम आम श्रद्धालुओं में नहीं था। मेला क्षेत्र की स्थिति यह थी कि काली घाट, रामघाट, संगम अपर मार्ग, अक्षयवट मार्ग आदि के करीब पहुंचकर लोग वहीं रुक गए। सभी ने पुआल को बिछौना बनाया और खुले आकाश तले चादर ओढ़कर भोर होने का इंतजार शुरू कर दिया। मौनी अमावस्या के एक दिन पहले मंगलवार शाम तक चार करोड़ श्रद्धालु तटों पर पहुंच चुके थे। यह क्रम टूट नहीं रहा था। मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं के पहुंचने का क्रम लगातार जारी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस बार सभी प्रमुख स्नान पर्वों पर पुष्पवर्षा के लिए कहा है। 20 क्विंटल फूलों की वर्षा कराई जाएगी, जो कई चरण में होगी। उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक डॉ. पं. दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली के अनुसार अमावस्या तिथि 28 जनवरी, मंगलवार को शाम 7:10 बजे शुरू हो जाएगी जो 29 जनवरी, बुधवार को शाम 6:28 बजे तक रहेगी। इस दिन उत्तराषाढ़ नक्षत्र सुबह 8: 40 बजे तक रहेगा उसके बाद श्रवण नक्षत्र लग जायेगा। साथ ही सिद्धि योग रात 10:28 बजे तक रहेगा। इसलिए बुधवार को मौनी अमावस्या पर स्नान-दान सूर्योदय पूर्व से शुरू होकर शाम को 6:28 बजे तक शुभकारी रहेगा।