नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने नकली दवाएं बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए शामली और गाजियाबाद से दस लोगों को गिरफ्तार किया है। इनकी निशानदेही पर पुलिस ने करोड़ों रुपये की नकली दवाएं एवं भारी मात्रा में कच्चा माल बरामद किया है।
पुलिस के मुताबिक गिरोह के तार दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों से जुड़े हैं। गिरोह मधुमेह, माइग्रेन से लेकर एंटीबायोटिक जैसी नकली दवाएं बाजारों में उपलब्ध कराता था। क्राइम ब्रांच के हत्थे चढ़े दस आरोपियों में दो सरगना और थोक विक्रेताओं समेत फार्मासिस्ट भी शामिल हैं। क्राइम ब्रांच के एडिशनल सीपी संजय भाटिया ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों की पहचान विकास चौहान, सुरेंद्र मलिक, परवेज खान, उपकार सिंह उर्फ मणि, जसदीप सिंह, अब्दुल बासित, दानियाल अली, मुकेश कुमार, अनिल कुमार और चंद्रपाल सिंह के रूप में हुई। सभी आरोपी दिल्ली और हरियाणा निवासी हैं। क्राइम ब्रांच के एडिशनल सीपी ने बताया कि दिल्ली के बाजारों में नकली दवाओं की सप्लाई का इनपुट मिला था। मामले की जांच करने पर पता चला कि आरोपी उपकार और मुकेश एनसीआर के विभिन्न मेडिकल स्टोर पर नकली दवा सप्लाई करते हैं। इसके बाद क्राइम ब्रांच ने एक सूचना पर तिलक मार्ग इलाके में एक इको वैन को रोककर उपकार और जसदीप को दबोचा लिया। वैन से (कुल 44,530) नकली अल्ट्रासेट टैबलेट, एमारिल 1एम टैबलेट, ग्लूकोनोर्म टैबलेट, डेफकॉर्ट टैबलेट बरामद की गईं। पूछताछ में आरोपियों ने धंधे में शामिल अन्य लोग अब्दुल बासित और विकास के नाम का खुलासा किया। क्राइम ब्रांच की दूसरी टीम ने उत्तम नगर निवासी मुकेश चंद को पकड़ा। उसके घर से नकली दवा की 730 टैबलेट बरामद की गई। इसके अलावा तीसरी टीम ने आरोपी अब्दुल बासित, परवेज और डेनियल अली को यमुनापार के अलग-अलग स्थानों से गिरफ्तार किया। इनके कब्जे से नकली दवा की 5700 टैबलेट जब्त की। पूछताछ में आरोपियों ने खुलासा किया कि हिमाचल प्रदेश के मंडी स्थित एक फैक्टरी में अनिल कुमार (सुरेंद्र मलिक का कर्मचारी) नकली दवाएं बनाता है। इसके बाद मेसर्स अग्रवाल आयुर्वेदिक की फर्जी फर्म बिलिंग के नाम पर कूरियर यानी निटको रोडवेज के माध्यम से हिमाचल के सुंदर नगर से पानीपत, हरियाणा तक पहुंचाया जाता था। आरोपी परवेज ने मैसर्स अग्रवाल आयुर्वेदिक के नाम से एक नकली मोहर तैयार कर रखी थी। वह पानीपत से नकली दवाएं एकत्र करता था। इसके बाद वह फार्मेसी में डिप्लोमाधारी डेनियल अली को बेचता था। वहीं, डेनियल चूंकि कोई दुकान नहीं चलाता था, लिहाजा उसने अपना लाइसेंस पांच हजार रुपये में अब्दुल बासित को दे दिया था। इसके बाद डेनियल इन नकली दवाओं को अब्दुल बासित को बेचता था। जांच में पता चला कि बासित दिल्ली की गीता कालोनी इलाके में ए.एस.आर. मेडिकल स्टोर चलाता है। बासित इन दवाओं की अपने मेडिकल स्टोर से खुली बिक्री करता था। यह भी पता चला कि वह आरोपी उपकार सिंह को भी भारी मात्रा में बेचता था। विकास चौहान ज्यादातर दवाएं यूपी के गाजियाबाद के राजेंद्र नगर औद्योगिक क्षेत्र में स्थित अपनी फैक्टरी में बनाता था। बाकी दवाएं शाहरुख के माध्यम से रुड़की और उत्तराखंड से बनवाता था। आरोपी शाहरुख पहले से ही नशीली दवाओं से संबंधित मामले में भी गिरफ्तार हो चुका है। क्राइम ब्रांच ने आरोपियों की निशानदेही पर पानीपत स्थित निटको ट्रांसपोर्ट के ऑफिस में छापामार कर वहां से दो लाख, 16 हजार टैबलेट बरामद की हैं। यह पैकिंग मैटिरियल एमएस अग्रवाल आयुर्वेदिक के नाम पर बुक की गई थी। इस दौरान यह भी खुलासा हुआ कि अनिल कुमार ने हिमाचल प्रदेश के सुंदर नगर में फैक्टरी सेटअप बंद कर उसे यूपी के शामली में शिफ्ट कर दिया है। टीम ने सूचना के आधार पर अनिल कुमार को पानीपत के गन्नौर रेलवे स्टेशन से दबोचा लिया। आरोपी विकास चौहान ने पूछताछ में बताया कि गाजियाबाद के राजेंद्र नगर में एक इकाई और गाजियाबाद के भोपुरा स्थित न्यू डिफेंस कॉलोनी में गोदाम है। टीम ने दोनों स्थानों पर छापा मारकर नकली दवाएं, पैकेजिंग सामग्री और अन्य मशीनरी पार्ट्स जब्त कर लिए। पुलिस ने उसके पिता चंद्रपाल सिंह को भी गिरफ्तार कर मौके से साढ़े छह लाख से ज्यादा नकली टैबलेट, दस मोबाइल फोन, इको वैन, महिन्द्रा और आई 20 कार, स्टैंप समेत अन्य सामान बरामद किया है।