देहरादून, अर्पणा पांडेय। चौखम्बा में तीन दिन से फंसी महिला पर्वतारोहियों की जान फ्रांसिसियों ने बचाई। तीन पर्वतारोही महिलाएं तीन दिन से भूखी हालत में फंसी हुई थी। तीनों स्वस्थ्य हैं और दिल्ली लौट गई हैं।
चौखम्बा पर्वतारोहण से तीन अक्तूबर की दोपहर बाद वापस लौटते समय लापता हुई अमेरिका की 23 वर्षीय मिशेल थेरेसा डूरक और इग्लैंड की 27 वर्षीय फैव जेन मैनर्स को रविवार की सुबह एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर से सकुशल जोशीमठ पहुंचाया गया। दोनों महिला पर्वतारोहियों को बचाने में फ्रांसीसी पर्वतारोहियों के एक दल ने अहम भूमिका निभाई। दोनों पर्वतारोही स्वस्थ हैं। जोशीमठ में लगभग दो घंटा विश्राम करने के बाद हवाई मार्ग से दोनों पर्वतारोही महिलाओं को दिल्ली के लिए रवाना कर दिया गया है। जोशीमठ के एस्किमो एडवेंचर एजेंसी के टूर ऑपरेटर दिनेश उनियाल ने बताया कि उनका तीन सदस्यीय फ्रांसीसी पर्वतारोही दल 20 सितंबर को पार्वती गली ट्रैक मार्ग से चौखम्बा थ्री पर्वतारोहण के लिए गया था। तीन अक्तूबर की रात को चौखम्बा थ्री के चक्रतीर्थ ट्रैक मार्ग से कुछ संकेत मिले। इसके बाद चार अक्तूबर को उन्हें पता चला कि दो महिलाएं पर्वतारोहण के दौरान लापता हो गई हैं। उनियाल ने बताया कि तीनों पर्वतारोहियों से जब उनकी बात हुई तो तीनों ने उन्हें बताया कि वे फिलहाल अपने पर्वतारोहण का कार्यक्रम स्थगित कर दोनों लापता पहिलाओं की खोज करेंगे। यद्यपी जिस लोकेशन पर दोनों महिलाओं के अंतिम सिग्नल मिले थे वह स्थान काफी दूर था, बावजूद पांच अक्तूबर को पूरे दिन तीनों फ्रांसीसी पर्वतारोही जैक्स, क्लोविस और वीवीएन ने शाम लगभग साढ़े छह बजे दोनों महिलाओं को एक खड़ी चट्टान में फंसा पाया। तीनों फ्रांसीसी पर्वतारोहियों ने दोनों महिलाओं को अपने उपकरणों के सहारे सुरक्षित स्थान में ले जाकर उनके मिलने की सूचना जोशीमठ टूर एजेंसी और प्रशासन तक पहुंचाई। रविवार सुबह साढ़े सात बजे एयर फोर्स के हेलीकॉप्टरों के माध्यम से दोनों महिलाओं को सुरक्षित जोशीमठ लाया गया। चौखम्बा पर्वतारोहण के दौरान एक समय ऐसा भी आया जब दोनों महिलाओं के पास खाने-पीने को कुछ नहीं बचा। तो दोनों ने दो दिन तक बर्फ खाकर अपनी भूख प्यास मिटाई। तीन अक्तूबर को अमेरिका की 23 वर्षीय मिशेल थेरेसा डूरक और इग्लैंड की 27 वर्षीय फैव जेन मैनर्स जब लगभग 6015 मीटर की ऊंचाई पर थी तो दोनों को लगा कि वे शायद चौखम्बा थ्री का आरोहण पूरा नहीं कर पाएंगी। दोनों ने दोपहर लगभग 12 बजे वापस लौटने का निर्णय लिया। वापस उतरते समय मिशेल थेरेसा के ऊपर पहाड़ी से बर्फ का एक बड़ा हिस्सा गिरने के कारण उनकी पीठ से लगा रूकसैक(बैग) नीचे खाई में जा गिरा। बैग में पर्वतारोहण के रस्से, पीटोन आदि सभी उपकरण रखे हुए थे। बैग के गिरने के बाद यह संभव नहीं था कि दोनों महिलाएं बिना किसी उपकरण के नीचे उतर पातीं। दोनों महिलाएं हिम्मत दिखाते हुए कुछ मीटर तक नीचे आईं लेकिन चारों ओर खड़ी हिम चट्टान और खाई होने के कारण दोनों ने वहीं पर रूकने का फैसला किया। इसके बाद पर्वतारोहियों ने अपने फंसे होने का सिग्नल इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन (आईएमएफ) और जोशीमठ के स्थानीय टूर आपरेटरों तक पहुंचाया। दोनों ने उसी चट्टान में एक स्लीपिंग बैंग में ही रहकर दो रातें और तीन दिन गुजारे। उन्होंने बताया कि चार और पांच अक्तूबर को जब खाने को कुछ नहीं बचा तो उन्होंने बर्फ खाकर अपनी भूख प्यास मिटाई। दोनों पर्वतारोही महिलाओें ने टूर आपरेटरों से बातचीत में बताया कि चार अक्तूबर को कई बार हेलीकॉप्टर उनके ऊपर से गुजरा। बटरस में फंसी होने के कारण उन्होंने हाथ हिलाते हुए आवाज भी लगाई। वे ज्यादा हिल डुलकर या भागकर हेलीकॉप्टर को अपनी लोकेशन नहीं बता सकती थी, क्योंकि वे खड़ी चट्टान में जिन्दगी और मौत के बीच फंसे हुए थे। तीन दिनों तक 6000 मीटर की ऊंचाई में बिना किसी उपकरण, भोजन, टैंट के फंसे रहना और जीवित बचना किसी चमत्कार से कम नहीं है। दोनों विदेशी महिलाओं की किस्मत ने साथ दिया इस दौरान मौसम भी साफ रहा और पहाड़ में किसी प्रकार का बर्फीला तूफान भी नहीं आया। यदि हल्का सा बर्फीला तूफान आता तो खड़ी चट्टान में जिन्दगी की जंग लड़ रही दोनों महिलाओं के साथ कुछ भी अनहोनी हो सकती थी।