काबुल।
अफगानिस्तान पर कब्जा करने के साथ ही तालिबान के खिलाफ बगावत शुरू हो गई है। बगावत की बागडोर पूर्व राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह के हाथों में है। यही नहीं तालिबान विरोधी फौजें पंजशीर में इकट्ठा हो रही है।
अफगानिस्तान के पंजशीर में तालिबान के कब्जे के खिलाफ बगावत शुरू हो गई है। पंजशीर की घाटी नॉर्दन अलायंस के पूर्व कमांडर अहमद शाह मसूद का गढ़ है। दरअसल, अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह काबुल के नजदीक पंजशीर घाटी से तालिबान के खिलाफ अपनी रणनीति बना रहे हैं
पंजशीर में जमा हो रही फौजों में सालेह, अफगानिस्तान के वॉर लॉर्ड कहे जाने वाले जनरल अब्दुल रशीद दोस्तम, अता मोहम्मद नूर के सैनिक और अहमद मसूद की फौजें शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि अफगान सरकार के वफादार सैनिक मार्शल अब्दुल रशीद दोस्तम और अता मोहम्मद नूर की अगुआई में सालेह की फौजों के साथ जुड़ रहे हैं और अब इनका इरादा पूरे पंजशीर इलाके पर कब्जे का है। अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में से एक पंजशीर देश के उत्तर-पूर्वी इलाके का हिस्सा है। काबुल के नजदीक स्थित यह घाटी भौगौलिक दृष्टि से बेहद खतरनाक मानी जाती है। चारों तरफ से ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों से घिरे इस इलाके में बीच में मैदानी भाग है। अफगानिस्तान के लोग इसे भूल-भूलैया वाली और भूतिया जगह मानते हैं। यही वजह है कि 1980 से लेकर 2021 तक इसपर कभी भी तालिबान का कब्जा नहीं हो सका।