मौत को दावत दे रहा जंगलों की आग का धुआं

अंतरराष्ट्रीय

न्यूयॉर्क। दुनियाभर में जंगल धधक रहे हैं। लाख प्रयास के बाद भी जंगल में आग लगने की घटनाएं कम नहीं हो रही है। एक नए शोध में सामने आया है कि जंगल में लगी आग से उठने वाला धुआं जानलेवा होता जा रहा है।
पिछले कुछ वर्षों से दुनियाभर में जंगल की आग की घटनाएं बढ़ी हैं। इसके धुएं ने जंगल की नजदीकी आबादी का जीना दूभर कर दिया है। यह धुआं हर साल 12 हजार अतिरिक्त मौतों की वजह बन रहा है। वन अग्नि पर काबू नहीं पाया गया तो इसका धुआं और जानलेवा साबित हो सकता है। नेचर क्लाइमेट चेंज पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में यह हैरान करने वाले तथ्य सामने आए हैं। अध्ययन के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन की वजह से पहले से गर्म हो रही दुनिया पर जंगल की आग और भारी पड़ रही है। आग के कारण पृथ्वी का एक बड़ा हिस्सा भीषण गर्मी झेल रहा है। हर साल हजारों लोग इसके धुएं में सांस लेने के कारण मर रहे हैं। जापान के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एनवायर्नमेंट के शोधार्थियों ने जलवायु मॉडल के जरिये यह अध्ययन किया। उन्होंने पाया, बढ़ता तापमान जंगल की आग के धुएं से मौत का खतरा और बढ़ा रहा है। एशिया, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अमेरिका और यूरोप इस कारण सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। एक अन्य अध्ययन में कहा गया है, वर्ष 2003 से 2019 के बीच बढ़ती गर्मी के कारण जंगलों के आग के क्षेत्र 16 फीसदी का इजाफा हुआ है। इस बीच, सड़कों और कृषि के लिए जंगल काटे जा रहे हैं, जिसमें 19 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है। इस कारण ग्रीनहाउस गैस को सोखने की पृथ्वी की क्षमता बुरी तरह प्रभावित हुई है। इसी का नतीजा है कि दुनियाभर में प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ा है। प्रमुख शोधार्थी डॉ. चाई योन पार्क ने कहा, 2010 के दशक में हर साल लगभग एक लाख लोग आग के धुएं में सांस लेने से मार गए। इस धुएं में प्रदूषण के बेहद छोटे कण होते हैं, जिन्हें पीएम 2.5 के रूप में जाना जाता है। ये फेफड़ों से लेकर हमारे खून में मिल जाते हैं और मौत की वजह बनते हैं। भारत में पिछले दो दशक में 38,100 हेक्टेयर जंगल आग के कारण खत्म हो गए हैं। एक अनुमान के अनुसार देशभर में यह प्रदूषण का एक बड़ा कारण बनकर उभरा है। भारत में हर साल लाखों लोग इससे प्रभावित हो रहे हैं।

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