नई दिल्ली। टीएलआई
पानी की प्रचुरता में रहने वाले देश के हर नागरिक से पानी बचाने के ज्यादा से ज्यादा प्रयास करना चाहिए। इसके लिए निश्चित तौर पर लोगों को अपनी आदतें भी बदलनी ही होंगी। जल जीवन मिशन से गांवों में हर घर नल से जल की बढ़ती पहुंच का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह बातें कहीं।
प्रधानमंत्री ने शनिवार को जल जीवन मिशन ऐप और राष्ट्रीय जल जीवन कोष की भी शुरुआत की। इस ऐप का उद्देश्य विभिन्न हितधारकों के बीच जागरूकता बढाना और मिशन के अंतर्गत जारी योजनाओं को अधिक पारदर्शी और उत्तरदायी बनाना है। जबकि राष्ट्रीय जल जीवन कोष में कोई भी व्यक्ति, संस्थान, कंपनी या समाज सेवी, चाहे वह भारत में हो या विदेश में, अंशदान कर सकता है। इस कोष का उपयोग गांव में प्रत्येक घर, स्कूल, आंगनवाडी केंद्र, आश्रमशाला और अन्य सार्वजनिक संस्थानों में नल से पानी की सुविधा उपलब्ध कराना है। इस मौके पर उन्होंने कहा कि आजादी से लेकर वर्ष 2019 तक देश में सिर्फ तीन करोड़ घरों तक ही नल से जल पहुंचता था और 2019 में जल जीवन मिशन शुरू होने के बाद से पांच करोड़ घरों तक नल से जल पहुंचा है। उन्होंने कहा कि आज देश के लगभग 80 जिलों के करीब सवा लाख गांवों के हर घर में नल से जल पहुंच रहा है। वह दिन दूर नहीं नहीं जब किसी बहन बेटी को पानी भरने के लिए दूर तक पैदल नहीं जाना होगा। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि देश में पानी को लेकर पूर्ववर्ती सरकारों को जमकर आड़े हाथ लिया है। उन्होंने कहा है कि आजादी के बाद सात दशक में भी देश की बड़ी आबादी तक नल से जल इसलिए नहीं पहुंच सका क्योंकि तत्कालीन नीति निर्मातओं ने बिना पानी की जिंदगी के दर्द का एहसास नहीं था। उन्होंने कहा कि जो काम सात दशकों में नहीं हुआ उसे बीते दो सालों में करके दिखाया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि बहुत सी ऐसी फिल्में, कहानियां और कविताएं हैं जिनमें विस्तार से यह बताया जाता है कि कैसे गांव की महिलाएं और बच्चे पानी लाने के लिए मीलों दूर चलकर जा रहे हैं। इन्हें देखकर कुछ लोगों के मन में गांव का नाम लेते ही यही तस्वीर उभरती है। लेकिन बहुत कम ही लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि आखिर इन लोगों को हर रोज किसी नदी या तालाब तक क्यों जाना पड़ता है? आखिर क्यों नहीं पानी इन लोगों तक पहुंचता? वह समझते हैं कि जिन लोगों पर लंबे समय तक नीति-निर्धारण की जिम्मेदारी थी, उन्हें ये सवाल खुद से जरूर पूछना चाहिए था। लेकिन यह सवाल पूछा नहीं गया।