नई दिल्ली। टीएलआई
शिक्षा सिर्फ शास्त्रों की ही नहीं शस्त्रों की भी होती है। जिस तरह सम्मान के लिए शास्त्र की शिक्षा जरूरी है, उसी तरह आत्मरक्षा के लिए शस्त्र की शिक्षा भी जरूरी है। हर व्यक्ति को शास्त्र के साथ शस्त्र की भी शिक्षा लेनी चाहिए। यह बातें काशी सुमेरू पीठाधीश्वर शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती ने सीतापुर के नैमिषारण्य में कही। इस दौरान उन्होंने सनातन परंपरा में शस्त्र के महत्वों का भी उल्लेख किया। साथ ही आज के हालात पर भी चर्चा की।
नैमिषारण्य में परिक्रमा मार्ग के पास आध्यात्म साधना पीठ के संस्थापक श्री महंत स्वामी विद्यानंद सरस्वती की ओर से श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया है। श्रीमद्भागवत कथा में पहुंचे शंकराचार्य नरेंद्रनंद सरस्वती ने मौजूद श्रद्धालुओं को कृष्ण कथा का रसपान कराया। इस दौरान उन्होंने कहा कि आज सनातन धर्म पर चतुर्दिक संकट छाया हुआ है। ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण के बताए मार्ग का अनुसरण करना आवश्यक है।
उन्होंने कृष्ण के प्रसंगों का जिक्र करते हुए कहा कि लोगों को शास्त्रों के साथ शस्त्र की भी शिक्षा लेनी चाहिए। आज के हालात में आत्मरक्षा के साथ अपने परिवार और कुटुंब की रक्षा के लिए शस्त्र ज्ञान जरूरी है। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि धर्म के प्रति समर्पित और निष्ठावान रहें। इससे पहले शंकराचार्य नरेंद्रनंद की उपस्थिति और श्रीमहंत स्वामी विद्यानंद के नेतृत्व में श्रद्धालुओं ने पूजन कार्य संपन्न किया। श्रद्धालुओं ने कहा कि स्वामी शंकराचार्य का सानिध्य पाकर सब धन्य हो गए।