नई दिल्ली | नीलू सिंह
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गोमती रिवर फ्रंट परियोजना में कथित मनीलांड्रिंग के आरोपों की जांच के लिए गुरुवार को विभिन्न राज्यों में छापेमारी की। बता दें कि 1,500 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजनाओं की शुरुआत पूर्ववर्ती सपा सरकार ने की थी। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि स्थानीय पुलिस की सहायता से ईडी के अधिकारियों की एक टीम ने उत्तर प्रदेश (लखनऊ और नोएडा), दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में आरोपियों और उनके सहयोगियों के विभिन्न परिसरों में छापेमारी की। उन्होंने बताया कि टीम दस्तावेजों और सबूतों की तलाश कर रही है।
ईडी ने पिछले साल मार्च में इसी मामले में सीबीआई की ओर से दर्ज प्राथिमिका का संज्ञान लेते हुए धन शोधन रोकथाम कानून (पीएलएलए) के अंतर्गत एक आपराधिक मामला दर्ज किया था। योगी आदित्यनाथ सरकार की अनुशंसा के बाद सीबीआई ने मामले की जांच शुरू की थी।
उत्तरप्रदेश सरकार ने राज्य के सिंचाई विभाग द्वारा गोमती रिवर चैनलाइजेशन प्रोजेक्ट और गोमती रिवर फ्रंट विकास परियोजना को लागू करने में आपराधिक इरादे से की गई अनियमितताओं की जांच के आदेश दिए थे। सीबीआई ने तत्कालीन मुख्य अभियंताओं गुलेश चंद्रा, एस एन शर्मा, काजिम अली, तत्कालीन अधीक्षण अभियंता मंगल यादव, अखिल रमन, कमलेश्वर सिंह, रूप सिंह यादव और अधिशासी अभियंता सुरेन्द्र यादव के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की थी। आधिकारिक सू्त्रों ने बताया कि केवल 60 प्रतिशत नियोजित कार्य पूरा हुआ है। लेकिन आवंटित राशि का एक बड़ा हिस्सा अब तक खर्च किया जा चुका है।
जस्टिस सिंह समिति की रिपोर्ट पर कार्रवाई
राज्य सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आलोक कुमार सिंह के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया था। समिति ने 16 मई 2017 को दी अपनी रिपोर्ट में परियोजना में प्रथम दृष्टया अनियमितताओं का संकेत दिया था। इस आधार पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने 19 जून को एक मामला दर्ज किया था। इसके बाद राज्य सरकार ने जुलाई 2017 में मामले की सीबीआई जांच की अनुशंसा की। केंद्र ने 24 नवंबर 2017 को मामला सीबीआई को सौंपने को मंजूरी दी।