देहरादून। अनीता रावत
एम्स ऋषिकेश देश का पहला ऐसा मेडिकल संस्थान होगा जिसमें स्टूडेंट्स को मेडिकल शिक्षा के साथ ही व्यवहारिकता का पाठ पढ़ाया जाएगा। इसके लिए सिलेबस में एक सब्जेक्ट जोड़ा जाएगा। यहाँ के एमबीबीएस को प्रोफेशनलिज्म के तहत मरीजों के साथ व्यवहायिक संबंधों की प्रगाढ़ता के बारे में पढ़ाया जाएगा। साथ ही इनटरपर्सन स्किल इसके तहत मरीजों का सही परीक्षण कर बीमारी के मुताबिक दवाइयां लिखना बताया जाएगा।
डिपार्टमेंट ऑफ मेडिकल एजुकेशन को एम्स प्रशासन की ओर से मेडिकल सिलेबस में नया सिलेबस जोड़ने की जिम्मेदारी दी गई थी, जिसके बाद विभाग की ओर से एमबीबीएस के पाठ्यक्रम के लिए यह स्लेबस तैयार किया जा चुका है। जल्द इसे पाठ्यक्रम में शामिल कर नए सत्र से लागू कर दिया जाएगा। गौरतलब है कि एम्स में वर्ष 2012 में एमबीबीएस प्रथम बैच का सत्र प्रारंभ हो गया था। जबकि 2013 में अस्पताल में ओपीडी शुरू की गई थी। संस्थान में मेडिकल व नॉन मेडिकल की कुल सीटें करीब 1000 से अधिक है। जिसमें से एमबीबीएस में प्रत्येक सत्र में 100 सीटें हैं,बीएससी नर्सिंग में प्रति सत्र 100, एमडी-एमएस में कुल 300 सीटें हैं। जबकि अन्य पाठ्यक्रम में जैसे पीएचडी,पीडीसीसी एवं अन्य डिप्लोमा कोर्स शामिल हैं। एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के उद्देश्य से संस्थान के सभी स्टूडेंट्स को व्यवहारिकता का पाठ पढ़ाया जाएगा। इसके लिए सिलेबस में एक सब्जेक्ट जोड़ा जाएगा। इस सिलेबस में विद्यार्थियों को मरीजों के साथ व्यवहार कुशलता का पाठ पढ़ाया जाएगा। जिससे अस्पताल में आने वाले मरीज व उनके तीमारदार असहज महसूस नहीं करेंं। संस्थान एमबीबीएस में इस सब्जेक्ट को शामिल करने और इसके पठन-पाठन के साथ ही बाकायदा अन्य विषयों की तरह इस विषय की परीक्षा भी लेगा। जिसे प्रत्येक स्टूडेंट्स के लिए पास करना अनिवार्य होगा। उन्होंने बताया कि इसमें ग्रेडिंग सिस्टम होगा। एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने बताया कि मेडिकल की पढ़ाई में शामिल किए जा रहे व्यवहारिक विषय में तीन बिंदुओं को स्टूडेंट्स के व्यवहारिक ज्ञान को बढ़ाने के लिए शामिल किया जाएगा। उन्होंने बताया कि यह मेडिकल के क्षेत्र में अपने आप में खास सब्जेक्ट होगा। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने बताया कि हालांकि एससीआई ने मानव व्यवहार को लेकर ऐटकन माॅड्यूल तैयार किया है, मगर एम्स ऋषिकेश का सब्जेक्ट मॉडल इस मामले में ज्यादा कारगर व उपयोगी होगा। जिसमें मेडिकल स्टूडेंट्स मरीजों की परेशानियों को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे। जिससे एम्स व संस्थान के चिकित्सकों के प्रति लोगों का विश्वास और बढ़ेगा।