इस्लामाबाद।
मुंबई में भारत ने संयम बरता था। उस के विपरीत अब नई दिल्ली ने युद्ध का नगाड़ा बजा दिया है। इसका असर पाकिस्तान में दिखने लगा है। यही कारण है कि पुलवामा हमले को लेकर अब पाकिस्तान में भी इमरान सरकार के खिलाफ आवाज उठने लगी है। पाकिस्तान के तीन पूर्व विदेश सचिवों ने अपनी सरकार को आगाह किया है कि वह भारत की किसी आक्रामक कार्रवाई से निपटने के लिए तैयारी करके रखें। उन्होंने कहा कि पुलवामा मुंबई नहीं है क्योंकि एक स्थानीय किस्म की कार्रवाई भारत कर सकता है।
बताया जा रहा है कि पाकिस्तान के डॉन अखबार में प्रकाशित एक संयुक्त लेख में तीन पूर्व विदेश सचिव रियाज हुसैन खोखर, रियाज मोहम्मद खान और इनामुल हक ने मीडिया, राजनीतिक नेतृत्व, खुफिया संस्थानों से अपील कि वे अशांत वातावरण में कुछ संतुलन बनाने के उपाय करने और संयम बरतने की जिम्मेदारी दिखाएं। उन्होंने पाक प्रधानमंत्री को सलाह दी कि संकट को शांतिपूर्ण ढंग से निपटाने के लिए कूटनीति की मदद ले।
‘ए टाइम फॉर रीस्ट्रेंट’ नाम से छपे इस लेख में कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान के मध्य तनाव खतरनाक स्तर पर है क्योंकि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सेना को पुलवामा हमले का बदला लेने के लिए खुली छूट दे दी है।
बहावलपुर मदरसे का जैश से कोई संबंध नहीं: पाकिस्तान सरकार ने बहावलपुर में स्थित जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय को अपने कब्जे में लेने के अपने पहले के दावे से पलटी मारी है। इमरान सरकारने कहा कि इस परिसर का आतंकी संगठन से कोई संबंध नहीं है। पाक के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने सोशल मीडिया में एक वीडियो पोस्ट करके कहा कि पंजाब सरकार ने बहावलपुर में मदरसे पर प्रशासनिक नियंत्रण कर लिया है। इससे पहले चौधरी ने शुक्रवार को कहा था कि पंजाब सरकार ने बहावलपुर में कथित जैश के मुख्यालय को अपने कब्जे में लिया है।