सोना निकालने को बढ़ी खराब इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की मांग

अंतरराष्ट्रीय

लंदन। अमेरिका समेत दुनिया के कई मुल्क इलेक्ट्रॉनिक कचरे से करोड़ों का सोना निकाल रहे। ब्रिटेन की द गोल्ड बुलियन कंपनी की रिपोर्ट के अनुसार ई-वेस्ट से सोना निकालने में अमेरिका सबसे आगे हैं। खास बात ये है कि सिर्फ 20 फीसदी ई-कचरे का निस्तारण से ये देश हजारों किलोग्राम सोना निकाल रहे हैं। कोरिया के विज्ञान मंत्रालय के नेशनल रिसर्च फाउंडेशन के अनुसार एक टन इलेक्ट्रॉनिक कचरे से 100 से 200 ग्राम सोना निकल सकता है। दावा है कि अमेरिका में वर्ष 2022 में 4.1 अरब किलोग्राम ई-वेस्ट से जो सोना निकाला उसकी कीमत 88.28 करोड़ यूरो से अधिक आंकी गई थी। वहीं चीन में: वर्ष 1970 से ई-वेस्ट का निस्तारण कर रहा। 1.90 अरब किलोग्राम कचरे से 44.51 करोड़ यूरो की कीमत का सोना निकाला था। साथ ही जर्मनी में कचरे से सोना निकालने में तीसरा सबसे बड़ा मुल्क है। 95.66 करोड़ किलोग्राम कचरे से 20.84 करोड़ यूरो का सोना निकाला है। भारत ई-वेस्ट उत्पादन में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मुल्क है। भारत में जितना ई-कचरे का उत्पादन होता है उससे बड़ी मात्रा में सोने का उत्पादन हो सकता है। हालांकि ई-कचरे में क्या-क्या है, इसपर भी बहुत कुछ निर्भर करता है। महंगे और बड़ी कंपनियों के गैजेट्स की मात्रा अधिक है तो सेना उतना ही अधिक सोना निकलने की संभावना है। वर्ष 2019 में ई- कचरे से 57 अरब डॉलर की कीमत का सोना, लोहा और तांबा निकाला गया था। मौजूदा समय में जितना कचरा निकल रहा वो 853 सीट वाले विमान के वजन के बराबर है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार ई- वेस्ट में कंप्यूटर, टीवी, वीसीआर, म्यूजिक सिस्टम, मोबाइल, स्मार्ट वॉच, माइक्रोवेव, आईटी सर्वर से जुड़े उपकरण समेत हजारों उपकरण शामिल होते हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार भविष्य में हर साल 26 टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा बढ़ेगा। वर्ष 2030 तक दुनियाभर में 82 लाख टन से अधिक ई-कचरे का उत्पादन होगा। दुनियाभर में गैजेट्स और इलेक्ट्रिक उपकरणों के इस्तेमाल की गति तेजी से बढ़ रही है। दुनिया के कई देश ई-कचरा दूसरे देशों से भी खरीद रहे हैं।

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