नई दिल्ली। अर्पणा पांडेय
अक्षरधाम से शुरू होकर देहरादून तक जाने वाले एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य शुरू हो गया है। इससे इस रूट पर लगने वाले जाम से निजात मिलेगी। यही कारण है कि नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने एक्सप्रेसवे के पहले दो चरणों को रिकॉर्ड 18 से 20 महीने में पूरा करने का लक्ष्य रखा है। इसे लेकर एनएचएआई और निर्माण एजेंसी के साथ हुई बैठक में सहमति बनी है। दिल्ली से लोनी, बागपत, सहारनपुर रूट पर जाने वाले वाहन सीधे एक्सप्रेसवे के रास्ते बाहर जा सकें, इसके लिए एक्सप्रेसवे को आईएसबीटी इंटरचेंज से भी सीधे जोड़ा जाएगा।
यहां से वाहन सीधे एक्सप्रेसवे पर चढ़ सकेंगे। एक्सप्रेसवे को एनएचएआई ने दो तरह से डिजाइन किया है। एलिवेटेड रोड पर एक्सप्रेसवे की छह लेन होंगी, जबकि एक्सप्रेसवे के नीचे एनएच-709बी की छह लेन आरक्षित रहेंगी। नीचे की छह लेन पर किसी तरह का टोल नहीं लिया जाएगा। एक तरह से स्थानीय ट्रैफिक के लिए नीचे की लेन का इस्तेमाल किया जा सकेगा। ऊपर की छह लेन पर बाकी एक्सप्रेसवे की तरह टोल लगेगा। पहले चरण में बनने वाले दो मेट्रो और दो रेलवे आरओबी (रेलवे ओवर ब्रिज) के जनरल एडजेस्टमेंट डिजाइन (जीएडी) को डीएमआरसी और रेलवे मंत्रालय ने स्वीकृति प्रदान कर दी है। इससे प्रोजेक्ट शुरू होने की तकनीकी बाधाएं दूर हो गई हैं। एनएचएआई के अधिकारियों का कहना है कि पहले चरण में कोई जमीन अधिग्रहण नहीं होना है। दूसरे चरण में सिर्फ पांच हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता है, जिसकी अधिग्रहण प्रक्रिया अंतिम दौर में है। उम्मीद है कि मार्च 2023 से पहले दिल्ली के साथ गाजियाबाद के लोनी क्षेत्र को जाम से निजात मिल सकेगी। एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर मुदित गर्ग का कहना है कि जीएडी को मंजूरी मिलना काफी अहम है। इससे मेट्रो और रेलवे की जमीन पर प्रोजेक्ट का काम शुरू करने की स्वीकृति मिल गई है। अक्सर जीएडी की मंजूरी मिलने में देरी की वजह से प्रोजेक्ट समय पर पूरा नहीं होता है। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के दूसरे चरण में चिपियाना आरओबी की जीएडी स्वीकृति होने में ही एक साल से ऊपर का समय लग गया था। उस पर रेलवे ने आपत्ति लगा दी थी। लेकिन, दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे की बड़ी बाधा दूर हो गई है। अब आरओबी का फाइनल डिजाइन भी मंजूरी के लिए भेज दिया गया है, जिसे अगले महीने के अंत तक मंजूरी मिलने की उम्मीद है। बाकी एलिवेटेड रोड डिजाइन का काम भी पूरा हो गया है।