ग्लेशियर को पिघलने से बचाएगा ‘पर्दा’

अंतरराष्ट्रीय

फिनलैंड। ‘डूम्सडे’ ग्लेशियर को बचाने के लिए वैज्ञानिकों को जल्द से जल्द बड़ा और अहम कदम उठाने की जरूरत है। अंटार्कटिका के इस ग्लेशियर को ‘थ्वाइट्स ग्लेशियर’ के नाम से भी जाना जाता है। इसके पिघलने से समुद्र में जलस्तर 10 फीट तक ऊपर आ जाएगा, जिससे न्यूयॉर्क और मियामी जैसे तटीय शहरों के डूबने का खतरा हो सकता है। ग्लेशियर को पिघलने से बचाने के लिए वैज्ञानिकों ने जियो इंजीनियरिंग की सहायता लेने का फैसला लिया है। इसके जरिए पानी के भीतर पर्दे लगाए जाएंगे। लैपलैंड यूनिवर्सिटी के जॉन मूरे ने पानी के भीतर 62 मील लंबा पर्दा लगाने का प्रस्ताव दिया। मूरे ने कहा कि इससे समुद्र में गर्म पानी की लहर को आने से रोका जाएगा ताकि यह ग्लेशियर तक न पहुंच पाए। प्रिंसटन के माइकल वोलोविक ने ग्लेशियर की सतह में सुरंग बनाने का प्रस्ताव दिया, ताकि इसमें से ठंडा पानी भेजा जा सके। वैज्ञानिकों का कहना है कि इनमें से किसी भी समाधान में ज्यादा खर्च आएगा। साथ ही इसके लिए ऊर्जा की खपत और पर्यावरण पर असर दोनों पर गहन अध्ययन की जरूरत है। इसी साल मैक अयाल ने चेताया था कि ज्यादा देर हो उससे पहले हमें कदम उठाने की जरूरत है। शोधकर्ताओं ने तर्क दिया कि इस काम में दशकों लग सकते हैं लेकिन हमें समाधान को समय रहते करना होगा।

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