देहरादून। अनीता रावत
राज्य सरकार ने उत्तराखंड में कोविड कर्फ्यू में पूर्व में किए प्रावधानों के साथ सात सितंबर तक बढ़ा दिया है। अन्य प्रदेशों से राज्य में प्रवेश के लिए वैक्सीन की दो डोज का 15 दिन पुराना प्रमाण पत्र की बाध्यता बरकरार की गई है। यह प्रमाण पत्र न होने पर 72 घंटें पूर्व की आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट पर ही प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। वहीं कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए राज्य में खांसी, जुकाम और बुखार के सभी मरीजों की कोरोना जांच जरूरी कर दी गई है। इसके साथ ही अस्पतालों को फ्लू ओपीडी चलाने के निर्देश भी स्वास्थ्य महानिदेशक ने दिए हैं।
सोमवार देर शाम को मुख्य सचिव डा. एसएस संधु ने कोविड कर्फ्यू एक हफ्ते तक आगे बढ़ाने के आदेश किए हैं। व्यापारिक प्रतिष्ठान पूर्व की भांति सुबह आठ बजे से रात नौ बजे तक ही खुल सकेंगे जबकि साप्ताहिक बंदी का अनिवार्य रूप से पालन किया जाएगा। सरकार ने कोचिंग संस्थानों, शापिंग माल, सिनेमा हाल, जिम, सैलून, स्वीमिंग पुल, मनोरंजन पार्कों में क्षमता के 50 फीसदी लोगों की मौजूदगी रखने के जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं। वहीं, शादी-समारोह में भी सिर्फ 50 मेहमानों की उपस्थिति रहेगी। इनके लिए भी कोविड निगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य की गई है। उधर केरल सहित देश के कुछ राज्यों में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। इसे देखते हुए तीसरी लहर की आशंका जाहिर की जा रही है। इसी आशंका के बीच राज्य सरकार ने भी संक्रमण पर रोकथाम के लिए नए सिरे से कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। सोमवार को अवकाश के बावजूद स्वास्थ्य महानिदेशक ने राज्य के सभी मुख्य चिकित्साधिकारियों को खांसी, जुकाम और बुखार के सभी मरीजों की जांच अनिवार्य करने को कहा गया है। साथ ही कोविड अस्पतालों में फ्लू ओपीडी चलाने को भी कहा गया है। स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. तृप्ति बहुगुणा ने बताया कि राज्य में पिछले कुछ दिनों से खांसी, जुकाम और वायरल फीवर के मरीज काफी संख्या में मिल रहे हैं। ऐसे में सभी मरीजों की कोरोना जांच कराने के मौखिक आदेश दे दिए गए हैं। जल्द इस संदर्भ में आदेश भी कर दिए जाएंगे। सभी चिकित्सा अधीक्षकों को अस्पतालों में फ्लू ओपीडी संचालित करने को कहा गया है। डॉ. बहुगुणा ने कहा कि देश के कुछ राज्यों में संक्रमण बढ़ रहा है। ऐसे में सभी को बेहद सतर्क रहने की जरूरत है। राज्य में कुछ समय से कोरोना सैंपलों की जांच बेहद धीमी हो गई है। दूसरी लहर के पीक के समय राज्य में प्रतिदिन 30 हजार के करीब जांच हो रही थी जो अब घटकर प्रतिदिन औसत 15 हजार के करीब हो गई है।