संयुक्त राष्ट्र।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने कहा है कि सुरक्षा परिषद में लंबे समय से लंबित सुधार सदस्यता आधारित मुद्दा है और वह जल्द ही वार्ता प्रक्रिया के लिए समन्वयक नियुक्त करेंगे।
भारत, वर्तमान में सुरक्षा परिषद में एक अस्थायी सदस्य के रूप में है जिसका कार्यकाल दो साल के लिए है। भारत परिषद में सुधार के वर्षों से जारी प्रयासों में सबसे आगे रहा है। भारत का कहना है कि वह 15 सदस्यीय परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में एक स्थान का हकदार है और वर्तमान स्वरूप में परिषद 21वीं सदी की भू-राजनीतिक वास्तविकताओं का प्रतिनिधित्व नहीं करता। शाहिद ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि लंबे समय से लंबित यूएनएससी सुधार प्रक्रिया पर एक सवाल पर कहा, यह एक ऐसा सवाल है जो कई बार पूछा गया है और मैं समझ सकता हूं कि इसे इतनी बार क्यों पूछा गया है क्योंकि सुरक्षा परिषद सुधार एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से महासभा के एजेंडे में है। उन्होंने कहा, 1979 में, मालदीव उन देशों में से एक था, जिन्होंने शुरू में उन 10 देशों के समूह के साथ हस्ताक्षर किए थे जिन्होंने सुरक्षा परिषद में सुधार की पहल की थी। और मैं तब केवल 17 वर्ष का था। और देखिये तब से मेरे साथ क्या हुआ है और मुद्दा अभी भी वहीं है। काश मेरे पास इसे ठीक करने के लिए जादू की कोई छड़ी होती। लेकिन फिर संयुक्त राष्ट्र में, सुरक्षा परिषद में सुधार एक सदस्यता-संचालित मुद्दा है। शाहिद ने कहा कि वह नवंबर के लिए निर्धारित सुरक्षा परिषद सुधार एजेंडा चर्चा से पहले अंतर सरकारी वार्ता (आईजीएन) के लिए समन्वयक नियुक्त करना चाहते हैं। जी4 देशों – भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान ने दोहराया है कि स्थायी और अस्थायी सीटों में विस्तार के माध्यम से सुरक्षा परिषद में सुधार ‘अनिवार्य’ है ताकि संयुक्त राष्ट्र के अंग को अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए कभी-कभी जटिल और विकासशील चुनौतियों से बेहतर तरीके से निपटने में सक्षम बनाया जा सके। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर, ब्राजील के विदेश मंत्री कार्लोस अल्बर्टो फ्रांको फ्रांका, जर्मनी के संघीय विदेश मंत्री हेइको मास और जापानी विदेश मंत्री मोतेगी तोशिमित्सु ने मुलाकात की थी।