पटना। राजेन्द्र तिवारी
सपा-बसपा ने यूपी सहित तीन राज्यों में जिस ढंग से कांग्रेस को अलग-थलग करके समझौता किया है, उससे कांग्रेस असहज है। यही कारण है कि बिहार में सपा-बसपा की भूमिका महागठबंधन में अभी तक तय नहीं हो पाई है। हालांकि राजद सपा-बसपा को महागठबंधन में चाहता तो है, लेकिन उसकी मंशा है कि उन्हें दी जाने वाली सीटों की कटौती कांग्रेस कोटे से हो। उधर, कांग्रेस अकेले कुर्बानी को तैयार नहीं है। यूपी के घटनाक्रम के बाद तीन फरवरी को गांधी मैदान में हुई कांग्रेस की जनआकांक्षा रैली में सपा-बसपा से दूरी दिखी थी। राहुल गांधी के साथ जहां महागठबंधन के घटक दलों के नेताओं ने मंच साझा किया था। वहीं सपा-बसपा को रैली का न्योता कांग्रेस ने नहीं भेजा था। बसपा जहां बिहार में ‘एकला चलो’ की राह पर बढ़ रही है तो सपा महागठबंधन में एक सीट जरूर चाहती है। जबकि वाम दल एकाध सीट पर मानने को तैयार नहीं हैं।