नई दिल्ली।
मोदी सरकार नागरिकता संशोधन विधेयक बुधवार को राज्यसभा में पास नहीं करा सकी। इसे लेकर सदन में हंगामा हुआ और बैठक स्थगित भी करनी पड़ी। अब यह विधेयक अगले सत्र में पेश किया जा सकता है।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि इस विधेयक के दायरे में सिर्फ असम नहीं, बल्कि सभी राज्य एवं केन्द्र शासित प्रदेश होंगे। गृहमंत्री ने नागरिकता संशोधन विधेयक पर आशंकाओं को निर्मूल बताते हुए कहा कि इसके विरोध में असम, त्रिपुरा एवं मेघालय में हिंसा की छिटपुट घटनाएं हुई हैं, लेकिन अब स्थिति पूरी तरह से शांतिपूर्ण है। उन्होंने कहा कि केन्द्र असम सहित पूरे पूर्वोत्तर में शांति एवं सामाजिक समरसता कायम रखने के लिए हरसंभव उपाय करेगा। गृहमंत्री ने कहा पूर्वोत्तर की मौजूदा सुरक्षा स्थिति पर हमारी दृष्टि बराबर बनी हुई है। पूर्वोत्तर में शांति बनी रहे, सौहार्दपूर्ण वातावरण बना रहे। इसके लिए भी हम पूरी तरह से सचेष्ट हैं और राज्य सरकारों से मिलकर सभी आवश्यक उपाय करेंगे। मैं इस बारे में उन सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ सम्पर्क में हूं और शीघ्र उनकी बैठक भी बुलाऊंगा। उन्होंने कहा कि यह विधेयक नागरिकता कानून 1955 में संशोधन के लिए लाया गया है। इसका क्षेत्राधिकार असम ही नहीं, बल्कि सभी राज्य एवं केन्द्र शासित क्षेत्र होंगे। उन्होंने पूर्वोत्तर क्षेत्र को नजरंदाज करने के विपक्ष के आरोप को नकारते हुए कहा कि पिछले चार साल में सरकार की संवेदनशीलता के परिणामस्वरूप पूर्वोत्तर राज्यों में सुरक्षा इंतजामों में अप्रत्याशित सुधार हुआ है। इन राज्यों में विकास की बड़ी परियोजनाओं तथा पुरानी लंबित मांगों को पूरा करना शामिल है। गृहमंत्री ने सदन को बताया कि असम के छह समुदायों को आदिवासी समुदाय का दर्जा देने की मांग लंबे समय से की जा रही थी। गृह मंत्रालय ने इस संबंध में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था। इस समिति ने सिफारिश दे दी है। इस बारे में विचार विमर्श भी किया गया है। इसके अनुरूप छह समुदायों कोच राजबोंग्शी, टॉय अहोम आहोम, सूटिया, मोटक, मोरन एवं चाय बागान से जुड़े समुदायों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल किया जाने का प्रस्ताव है।