नई दिल्ली। टीएलआई
भारत ने चीन से दो टूक कहा कि वह हॉटस्प्रिंग और डेप्सांग में टकराव वाले सभी स्थानों से पीछे हटे। यही नहीं मई 2020 से पूर्व की स्थिति बहाल करे। भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच एलएसी पर शेष गतिरोध को खत्म करने के लिए रविवार को शुरू हुई 13वें दौर की वार्ता में भारत की ओर से कही गई।
भारत की तरफ से वार्ता का नेतृत्व लेफ्टनेंट जनरल पीजीके मेनन कर रहे हैं, जो लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर भी हैं। पिछली कई वार्ताओं का नेतृत्व वह कर चुके हैं। दरअसल, यह वार्ता इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि हाल में चीन ने उत्तराखंड के बाराहोती और अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भी आक्रामकता दिखाने की कोशिश की है, जिसे भारतीय सेना ने नाकाम कर दिया था। भारत ने चीनी सेना की हरकतों पर सख्त रुख अपनाया हुआ है। इसलिए भारतीय पक्ष ने वार्ता के दौरान भी कड़ा रुख अख्तियार किया है। इससे पहले भारत और चीन के बीच 31 जुलाई को 12वें दौर की वार्ता हुई थी। कुछ दिन बाद दोनों देशों की सेनाओं ने गोगरा से अपने सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की थी और इसे क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता की बहाली की दिशा में एक बड़ा एवं उल्लेखनीय कदम माना गया था। इससे पूर्व सेना प्रमुख एम एम नरवणे ने शनिवार को कहा था कि पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में चीन की ओर से सैन्य जमावड़ा और व्यापक पैमाने पर तैनाती अगर जारी रहती है तो भारतीय सेना भी अपनी तरफ अपनी मौजूदगी बनाए रखेगी जो पीएलए के समान ही है। सेना के सूत्रों ने बताया कि वार्ता रविवार सुबह चीनी क्षेत्र मोल्डो में शुरू हुई। इसमें हॉट स्प्रिंग, डेप्सांग आदि में टकराव वाले बिन्दुओं को लेकर चर्चा हुई है जिस पर भारत की तरफ से तत्काल चीनी सेना से पीछे हटने और पूर्व की स्थिति बहाल करने पर जोर दिया गया। दरअसल, पैंगोग और गोगरा से चीनी सेनाएं पहले ही हट चुकी हैं लेकिन हॉट स्प्रिंग समेत कई क्षेत्रों में वह तय स्थान से आगे हैं।
लगभग तीन हफ्ते पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी को कहा था कि पूर्वी लद्दाख में बाकी के मुद्दों के जल्द समाधान के लिए दोनों पक्षों को काम करना होगा। यह वार्ता इसी पृष्ठभूमि में हो रही है। दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने 16 सितंबर को दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन से इतर मुलाकात की थी।