नई दिल्ली, अर्पणा पांडेय।
शोध में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि बॉडी स्प्रे, हेयर स्प्रे शैंपू, परफ्यूम, आदि घर की हवा को दूषित कर संक्रमण फैलाता है। इतना ही नहीं इससे भोजन के दूषित होने का खतरा भी बढ़ जाता है।दावा है कि इनके कण लंबी दूरी तय कर सकते हैं और जल में मिल सकते हैं। चिंता की बात है कि इन उत्पादों का इस्तेमाल नहीं करने वाले भी इसके चपेट में आ जाते हैं। इससे श्वसन संबंधी दिक्कतों के अलावा कैंसर का खतरा भी होता है।
पुरुष हो या महिला, बच्चा हो या बुजुर्ग, सुंदर और आकर्षक भला कौन नहीं दिखना चाहता। इसके लिए डिओडोरेंट, लोशन, परफ्यूम, बॉडी स्प्रे और हेयर स्प्रे शैंपू जैसे उत्पादों का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। पर ये सभी उत्पाद हमारी सांसों के लिए गंभीर खतरे भी पैदा कर रहे हैं। इनके प्रयोग से घर के अंदर की वायु गुणवत्ता खराब हो रही है। स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी लोसेन (ईपीएफएल) के अध्ययन में ये तथ्य सामने आए हैं।
शोध के अनुसार, ये उत्पाद हवा में 200 से अधिक प्रकार की वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (वीओसी) छोड़ते हैं। वीओसी में आमतौर पर ऐसे मिश्रण होते हैं, जो भाप बन सकते हैं। जब यह घर के अंदर मौजूद ठंडी या गर्म हवा से मिलते हैं तो रसायनिक प्रतिक्रिया होती हैं। इससे और भी अधिक जहरीले तत्व पनपते हैं, जो हमारे फेफड़ों में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं। वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि इन कणों से कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैं। शोधार्थियों ने कहा कि हालांकि, अभी तक यह पता नहीं चला है कि दैनिक आधार पर इन कणों को अंदर लेने से हमारी श्वसन प्रक्रिया पर क्या प्रभाव पड़ सकता है। यह अध्ययन इनवायरमेंटल साइंस एंड टेक्नोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। प्रमुख शोधार्थी दुसान लिसिना ने बताया, हमने यूरोप में इस्तेमाल होने वाले प्रमुख ब्रांडों के रोल-ऑन डिओडोरेंट, स्प्रे डिओडोरेंट, हैंड लोशन, परफ्यूम और ड्राई शैम्पू हेयर स्प्रे अलग-अलग दुकानों से खरीदे। घर के अंदर के वातावरण पर इन उत्पादों के असर को जानने के लिए इंडोर लैब का इस्तेमाल किया गया। आधुनिक मशीनों से पता चला कि इन उत्पादों के इस्तेमाल के दौरान कई दूषक तत्व हवा में मिल जाते हैं। कमरे या घर के अंदर की हवा में मिलकर इन कणों का आकार बढ़ा देती है। इन उत्पादों के उपयोग से घर या सैलून के भीतर हवा की संरचना में तेजी से बदलाव देखा गया। सामान्य हीट स्टाइलिंग तकनीकें जैसे स्ट्रेटनिंग और कर्लिंग, वीओसी के स्तर को और बढ़ा देती हैं। दुनियाभर में बड़ी संख्या में लोग यह नहीं जानते कि इन उत्पादों में इस्तेमाल होने वाले रसायन स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। अधिकतर कंपनियां अपने उत्पादों का इस तरह विज्ञापन करती हैं, जिससे लोगों में इन्हें खरीदने की होड़ दिखती है। उपभोक्ता इनके निर्माण में इस्तेमाल हुए रसायनों और तत्वों को नहीं पहचानते। युवा ही नहीं बल्कि बच्चों और बुजुर्गों द्वारा भी इनका इस्तेमाल किया जाता है।