हल्द्वानी। अनीता रावत
कुमाऊं के कई सीट पर कांग्रेस-भाजपा दोनों ही दलों के नेताओं ने टिकट न मिलने पर बगावत कर दी है। दोनों दलों के बागी अपना निर्णय फिलहाल वापस लेते नहीं दिख रहे। हालांकि कांग्रेस के बागी हरीश पनेरू ने अपने समर्थकों पर चुनाव लड़ने या नहीं लड़ने का फैसला छोड़ा है, लेकिन कांग्रेस को चुनाव न लड़ाने की बात कही है। वहीं भाजपा के बागी अजय तिवारी पार्टी के ‘प्रेशर गेम’ से बचने के लिए नामांकन कराने के बाद ‘भूमिगत’ हो गए हैं। ऐसे में किच्छा में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के लिए बगावत को थामना चुनौती बन गया है। वहीं रुद्रपुर में निर्दलीय नामांकन कराने वाले सिटिंग विधायक राजकुमार ठुकराल ने भी हर हाल में चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो उन्हें मनाने के लिए संघ की ओर से कोशिश हुंई, लेकिन वह नहीं माने। पार्टी नेताओं के फोन उठाने उन्होंने बंद कर दिए हैं। ठुकराल अपने निर्णय पर अड़े हैं।
किच्छा विधानसभा सीट से लगातार तीसरी बार भाजपा के टिकट पर राजेश शुक्ला चुनाव मैदान में हैं। पिछले चुनाव में उन्होंने तत्कालीन सीएम हरीश रावत को हराया था। हरीश रावत को किच्छा सीट में गुटबाजी का खामियाजा भुगतना पड़ा था। वहीं इस बार भाजपा से चुनाव लड़ने के लिए दावेदारी कर रहे अजय तिवारी ने बगावती तेवर अपना लिए हैं। अजय तिवारी ने नरेन्द्र मोदी पर आस्था तो जताई है, लेकिन निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन करा चुके हैं। नामांकन कराने के बाद से ही वह ‘भूमिगत’ हो गए हैं। उनकी इस रणनीति को भाजपा के चुनाव लड़ने के लिए ‘प्रेशर गेम’ का हिस्सा माना जा रहा है। नामांकन से पूर्व गदरपुर क्षेत्र से विधायक अरविंद पांडेय ने उन्हें मनाने की कोशिश की थी, लेकिन अजय तिवारी ने उनसे मुलाकात नहीं की। ऐसे में माना जा रहा है कि अजय तिवारी हरहाल में चुनाव लड़ेंगे। वहीं हरीश पनेरू ने भी कांग्रेस से अपने पद से इस्तीफा देकर किच्छा सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। उन्होंने अपना नामांकन भी कराया है। शनिवार को उन्होंने अपने समर्थकों के साथ लंबी बैठक की। बैठक के बाद उन्होंने हिन्दुस्तान से बातचीत में कहा कि वह कांग्रेस को किसी हाल में चुनाव नहीं लड़ाएंगे। उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला समर्थकों पर छोड़ दिया है। समर्थकों का जो निर्णय होगा वह उसी के अनुरूप आगे चलेंगे। वहीं रुद्रपुर सीट पर भी भाजपा से बगावत कर निर्दलीय नामांकन कराने वाले राजकुमार ठुकराल भी मैदान में हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के सामने बगावत थामने की चुनौती है, लेकिन दोनों के पास ही अब दो दिन का समय बचा है। 31 जनवरी को तीन बजे तक ही नाम वापसी हो सकती है। ऐसे में बगावत थामने के बहुत कम समय बचा है। दोनों की पार्टियां पूरी कोशिश करेंगे कि किसी तरह से बगावत थमे और डैमेज कंट्रोल हो। किच्छा में कांग्रेस में अधिक बगावत की आशंका थी। यहां से कांग्रेस के टिकट को लेकर सात कांग्रेसी नेता दावेदारी कर रहे थे। पूर्व में उन्होंने तिलकराज बेहड़ को टिकट दिए जाने पर विरोध करने की बात कही थी, लेकिन कांग्रेस से यहां से तिलकराज बेहड़ को ही प्रत्याशी बनाया। इसके बाद हरीश पनेरू को छोड़कर बाकी कांग्रेसी नेताओं ने पार्टी के निर्णय का सम्मान करते हुए बेहड़ को समर्थन दिया। वहीं हरीश पनेरू अब भी बगावती तेवर पर अड़े हुए हैं। पनेरू ने साफ कहा है कि कांग्रेस को चुनाव किसी सूरत में नहीं लड़ाएंगे।