नई दिल्ली। अर्पणा पांडेय
केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को तीन कृषि कानूनों को रद्द करने संबंधी विधेयक को मंजूरी दे दी है। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान कृषि कानूनों को रद्द करने से संबंधित विधेयक पेश करने के लिए सूचीबद्ध है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने पत्रकारों को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह फैसला किया गया। बैठक में इन तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के संबंध में औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं। विदित हो कि संसद के 29 नवंबर को शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा व राज्यसभा में इन कानूनों को रद्द करने संबंधी प्रक्रिया पूरी की जाएगी। अनुराग ठाकुर ने बताया कि संसद में भी तीन कृषि कानूनों को रद्द करने का कार्य प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कैबिनेट के कार्य को हमने पूरा कर लिया है। संसद में सत्र के पहले हफ्ते व पहले दिन से ही हम प्रक्रिया आरंभ करेंगे। गौरतलब है कि इन तीन कृषि कानूनों के विरोध में पिछले करीब एक वर्ष से दिल्ली की सीमाओं पर लगभग 40 किसान सगठन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को राष्ट्र के नाम संबोधन में तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले की घोषणा की थी। लोकसभा सचिवालय के बुलेटिन के अनुसार, कृषि कानूनों को रद्द करने संबंधी विधेयक पेश किए जाने के लिए सूचीबद्ध है। पिछले साल सितंबर में केंद्र सरकार विपक्षी दलों के भारी विरोध के बीच कृषक उपज व्यापार व वाणिज्य (संवर्धन व सरलीकरण) कानून, कृषि (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून एवं आश्वयक वस्तु संशोधन कानून 2020 लाई थी। इनके विरोध में लगभग एक साल से प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों की मुख्य मांग इन तीनों कृषि कानूनों को रद्द करना है। उनका कहना है कि ये कानून उन्हें कॉरपारेट घरानों पर आश्रित कर देंगे। किसान संगठनों का कहना है कि जब तक संसद में कानूनों को रद्द नहीं किया जाता, उनका आंदोलन चलता रहेगा। संयुक्त किसान मोर्चा ने एमएसपी पर कानून बनाने सहित छह मांगें और रखी हैं। साथ ही किसान संगठन लखीमपुर खीरी की घटना के लिए राज्य गृह मंत्री अजय मिश्रा टेनी को पद से हटाकर गिरफ्तार करने व किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की मांग कर रहे हैं। और सरकार से चर्चा करने के लिए कहा है। इसके बाद ही आंदोलन समाप्त किया जाएगा।