नई दिल्ली। देश के सभी राज्यों बिना अनुमति बीएड और डीएलएड कोर्स चला रहे केंद्रीय विश्वविद्यालयों, राज्य विश्वविद्यालयों एवं डायट को पिछली तारीख से मान्यता देने का रास्ता साफ हो गया है। राज्यसभा ने गुरुवार को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (संशोधन) विधेयक- 2019 को मंजूरी दे दी। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है। राज्यसभा में एक घंटे की चर्चा के बाद इस विधेयक को ध्वनिमत से अनुमोदित किया गया। बताया जा रहा है कि अब इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने विधेयक पारित होने के बाद मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्होंने शिक्षकों से किया वादा पूरा किया। उन्होंने कहा कि अब शिक्षा संस्थान पिछली तारीख से मान्यता के लिए आवेदन कर सकेंगे और एनसीटीई उन्हें मान्यता प्रदान करेगा।
जानकारी के अनुसार मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इस विधेयक का मकसद एक विसंगति को दूर करना है। कुछ केंद्रीय एवं राज्य विश्वविद्यालयों ने बिना अनुमति के बीएड की शिक्षा शुरू की थी और छात्रों को उपाधि दी गई थी। यह मामला वर्ष 2011-12 से लेकर 2016-17 तक चला। दावा है कि इस दौरान करीब 17 हजार छात्रों की बीएड की डिग्री दी गई थी। उन्होंने कहा कि यह संस्थानों की गलती थी और इसकी सजा छात्रों को नहीं दी जा सकती। जावड़ेकर ने कहा कि पूरे मामले की जांच की जा रही है और संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही तय होगी। उन्होंने कहा कि सरकार बीएड के लिए नए शिक्षण संस्थानों को अनुमति नहीं दे रही है। वर्ष 2020 से केवल एकीकृत बीएड डिग्री के लिए मान्यता दी जाएगी।