कैनबरा।
ऑस्ट्रेलिया दक्षिणपंथी चरमपंथी समूह ‘द बेस’ और लेबनानी समूह हिज्बुल्ला के नाम प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों की सूची में जोड़ने वाला है। देश में राष्ट्रीय सुरक्षा सेवाएं, नव-नाजी और अन्य चरमपंथी विचारधारा से प्रेरित घटनाओं में वृद्धि से जूझ रही हैं।नव नाजी श्वेत सर्वोच्चता को मानने वाले समूह ‘द बेस’ की स्थापना 2018 में अमेरिका में हुई थी। गृह मंत्री करेन एंड्रयूज ने बुधवार को बताया कि ब्रिटेन के संगठन ‘सोनेनक्रीग डिविजन’ के बाद प्रतिबंधित सूची में शामिल किया जाने वाला यह दूसरा दक्षिणपंथी संगठन होगा। ऑस्ट्रेलिया की सूची में शेष 25 आतंकवादी संगठन मुस्लिम समूह हैं, जिनमें हिज्बुल्ला का बाह्य सुरक्षा संगठन भी शामिल है, जिसे 2003 में ऑस्ट्रेलिया की आपराधिक संहिता के तहत प्रतिबंधित सूची में शामिल किया गया था। हिज्बुल्ला से जुड़ा कोई भी संगठन, उनका सदस्य होना या उनका समर्थन करना एक आपराधिक कृत्य माना जाएगा। एंड्रयूज ने कहा कि आतंकवादी संगठनों की नजर ऑस्ट्रेलिया पर है क्योंकि देश ने अपनी सीमाएं खोल दी हैं और महामारी संबंधी प्रतिबंध भी खत्म कर दिए हैं। एंड्रयूज श्वेत वर्चस्ववादी मानसिकता के शिकार ऑस्ट्रेलियाई शख्स ब्रेंटन टैरेंट का जिक्र किया,जिसने 2019 में न्यूजीलैंड की दो मस्जिदों पर हमले किए थे। घटना में 51 लोगों की मौत हो गई थी। ऑस्ट्रेलिया की आतंकवाद रोधी खुफिया इकाई के प्रमुख माइक बर्गेस ने अगस्त में आगाह किया था कि 16 वर्ष से कम उम्र के ऑस्ट्रेलियाई किशोरों को श्वेत वर्चस्ववाद की विचारधारा का समर्थन करने के लिए कट्टरपंथी बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा था कि ऑस्ट्रेलियाई सुरक्षा खुफिया संगठनों के पास जितने मामले आए हैं उनमें से आधे से ज्यादा नव नाजी विचाराधारा और अन्य विचारधारा से प्रेरित समूहों के थे।