नई दिल्ली। देव
यदि आपके बच्चों को भी दूर की नजर कमजोर हो रही हैं तो सावधान हो जाइए। एक शोध में सामने आया है कि दुनिया का हर तीसरा बच्चा निकट दृष्टि दोष से पीड़ित है। कोरोना काल के बाद इसमें तेजी आई है।
दुनियाभर के बच्चों में दूर की नजरें कमजोर होने की बीमारी बढ़ रही है। अभी तीन में से एक बच्चा निकट दृष्टि दोष (मायोपिया) से पीड़ित है। ब्रिटिश जर्नल ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी में प्रकाशित शोध के अनुसार, अगर यही हालात रहे तो अगले तीन दशक में आंखों की बीमारी से 74 करोड़ से अधिक बच्चे प्रभावित होंगे। विशेषज्ञ इस दोष के लिए खान-पान में बदलाव, कोविड मामले, जलवायु प्रभाव को प्रमुख कारणों के तौर पर गिन रहे हैं। बता दें, निकट दृष्टि दोष (मायोपिया) में इंसान दूर की वस्तुओं को नहीं देख पाता है। यह आमतौर पर बचपन में शुरू होता है और उम्र के साथ खराब होता जाता है।
शोधकर्ताओं ने पांच से 19 वर्ष के बच्चों के बीच वर्ष 1990 से 2023 के बीच मायोपिया की व्यापकता का अनुमान लगाया गया। कुल 276 अध्ययनों को इसमें शामिल किया गया। इसमें एशिया, यूरोप, अफ्रीका, ओशनिया व उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका के 50 देशों का डाटा एकत्र किया गया। इसमें 54 लाख बच्चों की रिपोर्ट का विश्लेषण कर 19 लाख से अधिक मायोपिया के मामले को देखा गया। विशेषज्ञों ने अनुमान जताया कि मायोपिया का प्रसार पूरी दुनिया में 2050 तक 40 फीसदी तक पहुंच जाएगा। वहीं अगले छह साल में 60 करोड़ बच्चे या किशोर इस दोष की चपेट में आ जाएंगे। इसके अलावा, लड़कों की तुलना में लड़कियों इस दोष से ज्यादा पीड़ित रहेंगी।
अध्ययन के दौरान पता चला कि 1990 और 2023 के बीच आंखों की बीमारी का प्रसार तीन गुना से अधिक है। वर्ष 1990-2000 में यह दोष 24 फीसदी था, जो 2001-10 में बढ़कर 25 फीसदी हो गया। इसके बाद 2011-19 में 30 प्रतिशत और 20220-23 में 36 फीसदी की तेज वृद्धि देखी गई। विशेषज्ञों ने बताया कि अभी हर तीन में से एक बच्चे इस दोष से पीड़ित है। हालांकि, पिछले तीन साल में बच्चों से अधिक किशोर बीमारी की चपेट में आए हैं। इनका प्रतिशत 54 पर पहुंच गया है, जो पिछले तीन दशक के तुलना में दोगुना है।
रिपोर्ट के अनुसार, उच्च आय वाले देश के बच्चे इस दोष से कम परेशान हैं। वहीं निम्न से मध्यम आय वाले देशों में मायोपिया की अधिकता दोगुनी दर्ज की गई। पिछले तीन दशक में जापान में इस बीमारी से पीड़ित बच्चों का दायरा 30 फीसदी रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, कम आय वाले देशों में विकसित देशों की तुलना में 2050 तक 41 फीसदी तक बीमारी का प्रसार हो जाएगा। इसमें विशेष रूप से एशिया में 2030 में 52% की दर, 2040 में 62% और 2050 में 69% तक बच्चे या किशोर चपेट में आ सकते हैं।
शोधकर्ताओं ने बताया कि 2020 के बाद इस दोष के मामलों में तेज वृद्धि देखी गई। इसके पीछे कोविड महामारी को विशेषज्ञ कारण मान रहे हैं। कोविड की चपेट में आने से कई बच्चों की आंखों व दिमाग पर असर पड़ा। इसके अलावा, घर में बंद रहने के दौरान बच्चों ने पढ़ाई या मनोरंजन के लिए अधिक टीवी, मोबाइल या स्क्रीन का उपयोग किया। इससे मायोपिया के प्रसार में भारी वृद्धि का अनुमान है। विशेषज्ञों ने कहा कि एशिया के देशों में छोटे बच्चों में निकट दृष्टि दोष के मामलों का बढ़ना जातीय असमानता के कारण वृद्धि होने की आशंका है।