नैनीताल। हाईकोर्ट ने प्रदेश के कई जिलों में जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्षों और सदस्यों की तैनाती के मामले का स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई की। कोर्ट ने राज्य के नौ पर्वतीय जिलों में कार्यवाहक अध्यक्ष की व्यवस्था पर असंतोष व्यक्त करते हुए सरकार से पूछा है कि क्या इन जिलों में वहां के जिला जजों को फोरम अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है? कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी एवं न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ ने मंगलवार को इस मामले में सुनवाई की। राज्य सरकार की ओर से मामले की सुनवाई में प्रमुख सचिव एल.फेनई वर्चुअली पेश हुए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार के निर्देश पर उत्तराखंड के चार मैदानी जिलों देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और नैनीताल के जिला उपभोक्ता फोरम में अध्यक्षों और सदस्यों की नियुक्ति कर दी गई है। शेष पर्वतीय जिलों में उपभोक्ता फोरम में सदस्यों की नियुक्ति तो कर दी गई है लेकिन अध्यक्षों की नियुक्ति नहीं की गई है। मैदानी जिलों के उपभोक्ता फोरम के अध्यक्षों को ही शेष पर्वतीय जिलों के फोरम की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई है। प्रमुख सचिव ने कोर्ट को यह भी बताया कि मैदानी जिलों की अपेक्षा पर्वतीय जिलों के उपभोक्ता फोरम में वादों की संख्या काफी कम है। इस कारण इन जिलों में अध्यक्षों की नियुक्ति नहीं की गई है। मैदानी जिलों के चार फोरम अध्यक्षों को ही शेष नौ जिलों की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई है। प्रमुख सचिव ने कोर्ट को बताया कि 13 जिलों के सभी उपभोक्ता फोरम में स्टाफ मौजूद है। कोर्ट ने सरकार के इस जवाब पर असंतोष व्यक्त करते हुए पूछा कि ऊधमसिंह नगर के जिला उपभोक्ता फोरम का अध्यक्ष 250 से 300 किमी दूर पिथौरागढ़ और चम्पावत जिले की जिम्मेदारी का निवर्हन कैसे कर सकता है? इसी तरह देहरादून से उत्तरकाशी की दूरी करीब 300 किमी है। इसी क्रम में कोर्ट ने सरकार से पूछा कि क्या शेष जिलों में क्या संबंधित जिला न्यायाधीशों को वहां के जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है? कोर्ट ने प्रमुख सचिव से कहा कि अगली सुनवाई 26 नवंबर को इसके समाधान के संबंध में कोर्ट को जानकारी दें। पूर्व में कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा था कि राज्य के सभी 13 जिलों में उपभोक्ता फोरम अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति करने के लिए विज्ञप्ति जारी करें। इसके अनुपालन में सरकार ने विज्ञप्ति जारी की लेकिन चार जिलों में ही अध्यक्षों की नियुक्ति कर अन्य जिलों का अतिरिक्त कार्यभार उन्हें सौंप दिया।