नई दिल्ली। टीएलआई
चीन की हरकतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। पूर्वी लद्दाख के बाद उत्तराखंड और अब अरुणाचल प्रदेश में चीनी सेना की तरफ से भारतीय क्षेत्र में अनधिकृत प्रवेश की कोशिश की गई, लेकिन भारतीय सेना की मुस्तैदी से वह सफल नहीं हो सके। करीब 200 चीनी सैनिकों की गश्ती टुकड़ी को तुरंत वापस लौटा दिया गया।
सेना के सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि यह घटना एक हफ्ते पहले अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर के यांग्त्से इलाके में हुई। दरअसल, इस क्षेत्र में भी सीमा का निर्धारण स्पष्ट नहीं है। इसलिए दोनों देशों की सेनाएं अपने दावे वाले क्षेत्र में गश्त करते हैं। इसलिए चीनी सेना को पता है कि उसे कहां तक गश्त करनी है, लेकिन इसके बावजूद वह उस क्षेत्र में घुस रहे थे जो भारतीय क्षेत्र में पड़ता है। वहां भारतीय सेना बेहद सतर्कता के साथ कार्य कर रही हैं। इसलिए चीनी सैनिकों को तुरंत रोक दिया गया। इस कारण दोनों सेनाएं कुछ देर के लिए आमने-सामने हो गई थी। सेना के सूत्रों ने कहा कि बाद में तय प्रोटोकाल के तहत स्थानीय कमांडरों ने बातचीत के बाद मामले को सुलझाया और चीनी सेना को वापस जाना पड़ा।
सेना के सूत्रों ने माना कि इस दौरान दोनों सेनाओं के बीच नोंकझोंक हुई लेकिन कमांडरों ने बातचीत से टकराव को टाल दिया। चीन सेना के हालिया रुख को देखते हुए इस घटना को बेहद गंभीर माना जा रहा है। यह घटना पूर्वी लद्दाख विवाद पर दोनों पक्षों के बीच उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता के एक और प्रस्तावित दौर से ठीक पहले सामने हुई। सूत्रों ने बताया कि अगले तीन-चार दिनों के भीतर दोनों देशों की सेनाओं के बीच कोर कमांडर स्तर की वार्ता होने की संभावना है। बता दें कि लद्दाख में पिछले डेढ़ साल से दोनों सेनाओं के बीच टकराव के हालत पूरी तरह से अभी भी खत्म नहीं हो पाए हैं।
सूत्रों ने कहा कि ऐसे मामलों में परस्पर समझ के मुताबिक सेना के पीछे हटने से पहले कई घंटों तक बातचीत चल सकती है। हालांकि बलों को किसी तरह का नुकसान नहीं होता है। भारत-चीन सीमा का औपचारिक रूप से सीमांकन नहीं हुआ है और इसलिए वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर दोनों देशों की समझ में अंतर है। घटना से अवगत लोगों ने यह भी कहा कि क्षेत्रों को लेकर अलग-अलग धारणाओं के बावजूद दोनों देशों के बीच मौजूदा समझौतों और प्रोटोकॉल के पालन से शांति बनाए रखना संभव है।