सियोल। उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन ने अमेरिका पर तनाव बढ़ाने का आरोप लगाया है। गुरुवार को किम ने एक रक्षा प्रदर्शनी में कहा कि वाशिंगटन के साथ बातचीत का उनका पिछला अनुभव केवल प्योंगयांग के खिलाफ उसकी आक्रामक और शत्रुतापूर्ण नीति को उजागर करता है। इस दौरान किम ने परमाणु युद्ध की चेतावनी भी दी। राज्य मीडिया केसीएनए ने कहा कि किम ने कहा कि कोरियाई प्रायद्वीप को परमाणु युद्ध के इतने खतरों का सामना पहले कभी नहीं करना पड़ा, जैसा कि अब हुआ है। प्रदर्शनी के दौरान किम ने अपने शक्तिशाली हथियारों का निरीक्षण किया। इसमें अमेरिका की मुख्य भूमि को निशाना बनाने के लिए डिजाइन की गई अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों के साथ-साथ तोपखाने प्रणाली और ड्रोन भी शामिल थे। पिछले हफ्ते सैन्य अधिकारियों से मुलाकात के दौरान किम ने सैन्य परमाणु कार्यक्रम के असीमित विस्तार का वादा किया था। बता दें, किम ने अभी तक डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में दोबारा चुने जाने पर सीधे तौर पर कोई टिप्पणी नहीं की है। अपने पहले कार्यकाल के दौरान ट्रम्प ने 2018 और 2019 में उत्तर कोरियाई नेता के साथ तीन अत्यधिक सुनियोजित शिखर बैठकें की थीं। प्रदर्शनी में किम ने ट्रंप का नाम लिए बिना असफल शिखर सम्मेलनों का जिक्र किया। उन्होंने कहा, हम पहले से ही अमेरिका के साथ बातचीत के माध्यम से जितना संभव हो सका, आगे बढ़ चुके हैं। लेकिन अमेरिका का यह व्यवहार पूरी तरह से तनावपूर्ण वाला था। उत्तर कोरिया के प्रति उसके विचार आक्रामक नीतियों पर आधारित थे। किम ने कहा, अमेरिका क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ सैन्य सहयोग को मजबूत करके रणनीतिक तौर हमले को बढ़ावा दे रहा है। इसका मकसद उत्तर कोरिया पर सैन्य दबाव बढ़ाना है। इन सैन्य सहयोग में लंबी दूरी के बमवर्षक, पनडुब्बी और विमान वाहक जैसी प्रमुख हथियार शामिल हैं। इस दौरान किम ने एक बार फिर परमाणु-सशस्त्र सेना की क्षमताओं को आगे बढ़ाने के लिए त्वरित प्रयासों का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा की एकमात्र गारंटी सबसे मजबूत रक्षा शक्ति का निर्माण करना है, जो दुश्मन पर हावी हो सके। दरअसल, किम के विस्तारित परमाणु हथियारों और मिसाइल कार्यक्रमों में दक्षिण कोरिया और जापान को लक्षित करने वाले विभिन्न हथियार और लंबी दूरी की मिसाइलें शामिल हैं, जिन्होंने अमेरिका की मुख्य भूमि तक पहुंचने की सीमा का प्रदर्शन किया है। विश्लेषकों का कहना है कि किम के परमाणु प्रयास का उद्देश्य वाशिंगटन पर उत्तर कोरिया को परमाणु शक्ति के रूप में स्वीकार करने और मजबूत स्थिति से आर्थिक और सुरक्षा रियायतों पर बातचीत करने के लिए दबाव डालना है।