नई दिल्ली| नीलू सिंह
सरकार देश के सीमावर्ती जिलों में रहने वाले तमाम भारतीय नागरिकों को पहचान पत्र जारी करेगी। इस संबंध में विस्तृत योजना बनाई जा रही है। गृह मंत्रालय ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दी।
गृह मंत्रालय ने यह फैसला ऐसे समय लिया है जब सीमावर्ती क्षेत्रों में घुसपैठ के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2016 से 2018 के बीच तीन साल में सीमापार से घुसपैठ की 371 घटनाएं सामने आई हैं।
मंत्रालय के अनुसार, इस योजना को सैद्धांतिक रूप से स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है। इस संबंध में विस्तृत योजना तैयार करने का जिम्मा भारत के महापंजीयक को सौंपा गया है। इसके साथ ही सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (बीएडीपी) को मार्च 2020 तक जारी रखने की भी मंजूरी दी गई है । केंद्र सरकार 17 राज्यों के 111 जिलों के 396 ब्लॉकों में राज्य सरकारों के जरिये सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम लागू कर रही है। यह कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास रहने वाले लोगों की विकास संबंधी खास जरूरतों और उनके कल्याण से जुड़े कार्यों को पूरा करने के लिए एक अहम पहल के तहत लागू किया जा रहा है।
जिन राज्यों में बीएडीपी लागू किया गया है उनमें अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। भारत से बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, चीन और म्यांमार की सीमाएं लगती हैं। भारत में घुसपैठ की घटनाएं पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार से लगती सीमा पर दर्ज की गई हैं। जबकि चीन और भूटान से लगती सीमाओं पर घुसपैठ का कोई मामला सामने नहीं आया है।
सीमा की रक्षा करने वाले सुरक्षा बलों की प्रशासनिक और परिचालन संबंधी जरूरतों को देखते हुए सीमा सड़कों का निर्माण, बाड़ लगाने का काम तथा तेज रोशनी का प्रबंध किया जाता है। गृह मंत्रालय के अनुसार, पश्चिम बंगाल में 1,689 किलोमीटर, अरुणाचल प्रदेश में 39 किलोमीटर, असम में 259 किलोमीटर, बिहार में 93 किलोमीटर, गुजरात में 279 किलोमीटर, हिमाचल प्रदेश में 36 किलोमीटर, उत्तर प्रदेश में 106 किलोमीटर, उत्तराखंड में 12 किलोमीटर, जम्मू-कश्मीर में 144 किलोमीटर, मेघालय में 399 किलोमीटर, मिजोरम में 333 किलोमीटर, राजस्थान में 130 किलोमीटर, सिक्किम में 68 किलोमीटर और त्रिपुरा में 943 किलोमीटर सीमा सड़कें पूरी की जा चुकी हैं।
पश्चिम बंगाल में सीमा के 1,217 किलोमीटर हिस्से में बाड़ लगाई जा चुकी है। जम्मू-कश्मीर में 185 किलोमीटर, मेघालय में 328 किलोमीटर, मिजोरम में 164 किलोमीटर, राजस्थान में 1,038 किलोमीटर, पंजाब में 489 किलोमीटर, त्रिपुरा में 770 किलोमीटर, असम में 210 किलोमीटर और गुजरात में 279 किलोमीटर क्षेत्र में बाड़ लगाने का कार्य पूरा किया जा चुका है।