काबुल।
तो क्या अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद सत्ता संघर्ष हो रहा है। ब्रिटेन की एक मीडिया रिपोर्ट की माने तो हक्कानी और तालिबान में सत्ता पर कब्जे को लेकर खूनी संघर्ष इसी माह हुआ है। इसमें तालिबान के शीर्ष नेता हैबतुल्ला अखुंदजादा की मौत हो गई है, वहीं मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को बंधक बना लिया गया है। हालांकि अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। हालांकि इससे पहले पहले आई खबरों में कहा गया था कि तालिबान का प्रमुख चेहरा रहे बरादर को दरकिनार कर दिया गया है। अमेरिका और कई देशों को उम्मीद थी कि देश की कमान उन्हीं के हाथ में सौंपी जाएगी, लेकिन ऐसा हो न सका। आखिकार मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद को अफगानिस्तान का कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाया गया।
अफगानिस्तान में समस्या और भी जटिल हो गई है, क्योंकि सर्वोच्च नेता हैबतुल्ला अखुंदजादा पिछले पांच महीनों से कहीं नहीं दिख रहे हैं। बताया जा रहा है कि सत्ता के बंटवारे को लेकर कंधार और काबुल ग्रुप के बीच मतभेदों को सुलझाने में अखुंदजादा भूमिका निभा सकते थे। पांच महीने पहले कराची सेना छावनी में उन्हें देखा गया था। वहीं खुफिया एजेंसियां की मानें तो अफगानिस्तान के सर्वोच्च नेता की हत्या हो गई हो। इस रिपोर्ट के बाद ब्रिटेन की एक मीडिया ने भी ऐसा ही दावा किया है। ब्रिटेन मीडिया की रिपोर्ट में कहा कि सत्ता को लेकर हुए संघर्ष में उप प्रधानमंत्री मुल्ला बरादर और तालिबान का प्रमुख नेता हैबतुल्ला अखुंदजादा बुरी तरह से घायल हो गए। यह संघर्ष हक्कानी नेटवर्क के साथ सत्ता को लेकर हुआ। इसमें हक्कानी नेटवर्क के नेता को कामयाबी मिली। बता दें कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने भी हक्कानी नेटवर्क पर ही दांव लगाया था। अफगान राष्ट्रपति भवन में संघर्ष के बाद मुल्ला बरादर ने टीवी पर एक लिखित बयान पढ़ा था। इससे उनके बंधक बनाए जाने की अटकलें और तेज हो गई थीं। कई विशेषज्ञों ने कहा था कि बरादर दबाव में है और उससे जबरन बयान पढ़ावाया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह संघर्ष सितंबर में हुआ था और इस दौरान फर्नीचर और गर्म चाय से भरे बड़े-बड़े थर्मस भी फेके गए थे। झड़प के दौरान हक्कानी नेटवर्क का नेता खलील-उल- रहमान हक्कानी अपनी जगह से खड़ा हुआ और कुर्सी उठाकर मुल्ला बरादर की पिटाई कर दी।