देहरादून। अनीता रावत
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश प्रशासन का कहना है कि संस्थान में विभिन्न पदों पर स्थायी नौकरी के लिए आवेदन देशभर से प्राप्त होते हैं, जिन पर खुली प्रतियोगी परीक्षाओं के बाद मैरिट के आधार पर अभ्यर्थी का चयन होता है। अतः कतिपय संगठनों व व्यक्तियों द्वारा एम्स प्रशासन पर स्थानीय युवकों को रोजगार नहीं देने का आरोप सर्वथा गलत है। ऋषिकेश एम्स प्रशासन के अनुसार संस्थान में स्थायी पदों के लिए जिन स्थानीय युवकों ने आवेदन किया था, उन्हें अब तक पांच बार अपनी योग्यता सिद्ध करने का अवसर मिल चुका है । संस्थान द्वारा सबसे पहले कार्यालय सहायक पद के लिए दो बार, हॉस्पिटल अटेंडेंट के लिए एक बार, लोअर डिवीजन क्लर्क के लिए एक बार और स्टोर कीपर कम क्लर्क पद के लिए एक बार परीक्षा आयोजित की जा चुकी है, जिसमें उन्हें मौका दिया जा चुका है। एम्स प्रशासन के अनुसार इसके बाद भी चार और मौके मिलेंगे, जिनमें स्थानीय बेरोजगार परीक्षा में शामिल होकर अपनी योग्यता साबित कर संस्थान में नौकरी का अवसर प्राप्त कर सकते हैं। राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली इन परीक्षाओं के लिए अभ्यर्थियों को पूरी तैयारी और प्रतियोगी परीक्षा पास करके मैरिट में आना जरूरी है ।
चूंकि अब भारत सरकार ने ग्रुप सी और बी के पदों पर इंटरव्यू का चलन बंद कर दिया गया है, लिहाजा अभ्यर्थियों को परीक्षा उत्तीर्ण कर मैरिट में आना जरूरी है। एम्स प्रशासन के मुताबिकयदि कोई स्थानीय अभ्यर्थी मैरिट में स्थान पाता है और उसके खिलाफ कोई मामला पुलिस में दर्ज नहीं है तो, उसे अवश्य स्थायी नियुक्ति मिलेगी क्योंकि सरकारी नौकरी में पुलिस से सत्यापन आवश्यक है।
एम्स की सभी नियुक्तियां डीओपीटी / पीएमओ द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अनुसार होती है । इसमें भर्तियां राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगात्मक परीक्षा द्वारा की जानी तय है। भारत सरकार की संस्थाओं में स्थानीय लोगों के लिए आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है। भाषायी आधार पर कुछ सरकारी संस्थाओं में यह प्रावधान है कि ग्रुप सी तथा बी के लोक व्यवहार के पदों पर उन्हीं लोगों को लिया जाए,जिन्होंने मैट्रिक या हाईस्कूल में राज्य की राजभाषा एक विषय के रूप पढ़ी हो । मगर
उत्तराखंड राज्य में हाईस्कूल स्तर पर गढ़वाली और कुमाऊंनी भाषा नहीं पढ़ाई जाती है,लिहाजा यहां इस तरह का कोई प्रावधान रखना असंभव है। ऐसी स्थिति में एम्स संस्थान पर स्थानीय युवाओं को रोजगार नहीं देने आरोप सर्वथा निराधार एवं गलत है।