पेशावर।
अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान की पकड़ मजबूत होने के साथ ही अफगान संगीत से जुड़े कलाकार जान बचाने के लिए या तो देश छोड़ कर भाग रहे हैं, या अपने वाद्ययंत्रों को छिपा रहे हैं। अफगान गायक अजमल ने कहा कि हमारी तालिबान से कोई दुश्मनी नहीं है। हम उन्हें अपना भाई मानते हैं लेकिन चूंकि उन्हें हमारा काम नहीं पसंद है, इसलिए उनके राज में हम असुरक्षित महसूस करते हैं। वहीं पाकिस्तानी कलाकर शाहजहां ने कहा किअफगान संगीत से बहुत प्यार करते हैं और अफगानिस्तान से डर कर आने वाले कलाकारों और गायकों का हम अपनी धरती पर स्वागत करते हैं।
तालिबान के कब्जे के बाद संगीत की दुनिया से जुड़े लोग डरे हुए हैं और वे अपने दफ्तरों को बंद कर रहे हैं और कुछ ने तो अपने वाद्य यंत्रों को स्टोर रूम में छिपा दिया है। अफगानिस्तान से जान बचा कर कुछ कलाकार और गायक पाकिस्तान पहुंचने लगे हैं। ऐसे ही एक गायक पाशुन मुनावर ने कहा कि अगर हम अपना पेशा छोड़ भी दें तो भी तालिबान हमें नहीं छोड़ेगा। काबुल पर तालिबान के नियंत्रण के बाद से संगीत के सभी कार्यक्रम रद्द हो गए हैं। तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा है कि सार्वजनिक रूप से संगीत इस्लाम में प्रतिबंधित है, लेकिन कहा कि समूह को अतीत की तरह कड़े प्रतिबंधों से निजात मिल सकती है। हालांकि प्रवक्ता के इस बयान के कुछ दिन बाद अफगान लोक गायक फवाद अंदराबी की उनके घर से घसीट कर हत्या कर दी गई।