रांची। झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान बुधवार को संपन्न हो गया। 15 जिलों की 43 विधानसभा सीटों पर 65.71 फीसदी मतदान हुआ जो 2019 की अपेक्षा में इन सीटों (63.9 प्रतिशत) से बेहतर रहा। पहले चरण में 683 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। मतदान के मामले में शहरों पर फिर ग्रामीण क्षेत्र भारी पड़े। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों समेत आदिवासी बहुल इलाकों में भी जम कर वोट पड़े। नक्सलियों की धमकियों और वोट बहिष्कार के आह्वान को भी मतदाताओं ने नकार दिया। 31 विधानसभा सीटें ऐसी रहीं जहां 2019 से मतदान प्रतिशत बढ़ा है। वहीं, 12 सीटों पर मतदान का ग्राफ थोड़ा सा गिरा है।
झारखंड विधानसभा के पहले चरण के लिए सुबह सात बजे से ही मतदान की प्रक्रिया शुरू हो गई। इससे पहले सुबह 5.30 बजे मॉक पोल हुआ। मॉक पोल से चुनाव के दौरान ईवीएम की 91 बैलेट यूनिट, 106 कंट्रोल यूनिट और 220 वीवीपैट मशीन तकनीकी खराबी की वजह से बदली गई। पहले चरण के चुनाव में 15,344 केंद्रों पर वोटिंग हुई। 31 विधानसभा के 950 बूथों में चार बजे तक, जबकि 14,394 मतदान केंद्रों पर शाम पांच बजे तक मतदान हुआ। कभी माओवादियों का गढ़ रहे गढ़वा जिले के बूढ़ा पहाड़ इलाके के हेसातु मतदान केंद्र पर मतदाताओं की लंबी कतार दिखी। पहली बार यह मतदान केंद्र लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बनाया गया था। इससे यहां रहने वाले लोगों को अपने ही गांव में मतदान करने की अनुमति मिली। हर मतदान केंद्रों को मॉडल बूथ के रूप में तैयार किया गया था। 1152 बूथों को महिलाओं ने संचालित किया। वहीं, 24 बूथ दिव्यांगजनों और 23 युवा मतदानकर्मियों ने संभाला। मतदाताओं को आकर्षित करने और स्थानीय महत्व को दर्शाने के उद्देश्य से 50 यूनिक बूथ बनाए गए थे। इसमें स्थानीय कलाकृतियों, परंपराओं, मान्यताओं और विशेषताओं को दिखाया गया, जिसमें हॉकी, झोपड़ी, कृषि, आदिवासी, आदिम, वन की झलक दिखी। खरसावां विधानसभा में सबसे ज्यादा 77.32 प्रतिशत मतदान हुआ। वहीं, रांची विधानसभा में सबसे कम 51.50 फीसदी मतदान हुआ। खरसावां समेत कुल नौ विधानसभा सीट ऐसे रहे जहां 70 फीसदी से ज्यादा लोगों ने वोट डाले हैं। वहीं, रांची समेत छह विधानसभा क्षेत्रों में 60 फीसदी से कम वोट पड़े, जबकि 28 विधानसभा सीटों में 60-70 फीसदी के बीच मतदान हुआ।