देहरादून । अनीता रावत
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में शुक्रवार को आध्यात्मिक स्वास्थ्य एवं जीवनशैली से संबंधित बीमारियों को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया। शुक्रवार को बतौर मुख्य अतिथि एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने कार्यशाला का विधिवत शुभारंभ किया। इस मौके पर निदेशक एम्स ने जीवन में आध्यात्म के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि समाज में मधुर संबंधों से ही व्यक्ति एक दूसरे से जुड़ता है, तभी वह एक दूसरे को अपनी परेशानी बता सकते हैं। एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो.रवि कांत ने कहा कि जीवन में हर इंसान ईश्वर की सत्ता में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से विश्वास करता है। चाहे वह स्वयं को नास्तिक ही क्यों न कहता हो।
डीन प्रो.सुरेखा किशोर ने आध्यात्मिक स्वास्थ्य एवं जीवनशैली से संबंधित बीमारियों से जुड़ी नवीनतम रिसर्च व वैज्ञानिक प्रमाणों की जानकारी दी। एम्स की हृदय रोग विभागाध्यक्ष डा.भानु दुग्गल ने बताया कि जीवनशैली में बदलाव से संबंधित बीमारियों से सर्वाधिक युवा पीढ़ी ग्रसित हो रही है। उन्होंने बताया कि दुनिया भर के कुल हृदय रोगियों में 60 फीसदी मरीज भारत में हैं। उन्होंने बताया कि युवा सही जीवनशैली अपनाकर व आध्यात्म के अनुसरण से अपने जीवन को स्वस्थ व निरोगी रख सकती है। सैंट मैरी यूनिवर्सिटी यूएसए के साइकोलॉजिस्ट प्रो.स्टीफन पार्कर ने कार्यशाला में प्रतिभागियों को जीवन में ध्यान एवं योग का महत्व बताया। उन्होंने अपने व अपने गुरुओं के जीवन के व्यक्तिगत अनुभवों से भी प्रतिभागियों को अवगत कराया। इस अवसर पर रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम हरिद्वार के स्वामी दयाधीपानंदा ने शारीरिक स्वास्थ्य एवं व्यवहार पर मन का प्रभाव विषय व मैक्स हास्पिटल दिल्ली के राहुल मेहरोत्रा ने विश्राम व ध्यान की व्यवहारिकता पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। कार्यशाला में डा.योगेश सिंह, डा.मनु मल्होत्रा, बहन बीके आरती ने भी व्याख्यान दिया। इस अवसर पर एमएस डा.ब्रह्मप्रकाश, प्रोफेसर मनोज गुप्ता,सब डीन कुमार सतीश रवि, डा.किम जैकब मैनन,डा.यश,डा.योगेश आदि मौजूद थे।