प्रयागराज। टीएलआई
इंसाफ के लिए 14 साल का इंतजार करना पड़ा। फैसला आया तो भक्तों को राहत मिली। उन दुस्साहसी आतंकियों को जब कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई तो वहां मौजूद सभी लोगों ने राहत की सांस ली। कोर्ट ने हर आतंकी पर 60 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। हालांकि साक्ष्य के अभाव में एक आरोपी को कोर्ट ने बरी कर दिया।
मामला अयोध्या में रामजन्मभूमि परिसर को उड़ाने की साजिश रचने का है। 14 साल पहले 5 जुलाई 2005 को सुबह करीब सवा नौ बजे कुछ आतंकियों ने राम मंदिर परिसर के नजदीक बैरिकेडिंग पर एक जीप को विस्फोट से उड़ा दिया। उसके बाद पांच आतंकियों ने रामलला मेक शिफ्ट स्ट्रक्चर उड़ाने की कोशिश की। लेकिन वहां मौजूद सुरक्षाबलों ने उन्हें घेर लिया। दोनों ओर से फायरिंग होने लगी। सुरक्षाबलों ने पांचों आतंकियों को मार गिराया। मामले की जांच में आतंकियों की मदद करने वाले और रामलला परिसर को उड़ाने की साजिश रचने वालों के नाम सामने आए। पुलिस ने सभी को गिरफ्तार कर लिया। इस आतंकी हमले में तीन श्रद्धालुओं की भी मौत हुई थी। इस मामले में सुनवाई के बाद स्पेशल जज एससीएसटी दिनेश कुमार ने मंगलवार को नैनी जेल में आतंकियों को सजा सुनाई। 14 साल बाद आए इस फैसले में जज ने परिसर उड़ाने की साजिश रचने के दोषी चार आतंकियों जिसमें आसिफ इकबाल, डॉ. इरफान, शकील अहमद और मो नसीम शामिल है को उम्रकैद की सजा सुनाई। साथ ही जुर्माना भी लगाया। चारों को कार्ट ने हत्या, हत्या के प्रयास, आपराधिक षडयंत्र में दोषी पाया। हालांकि एक आरोपी मो. अजीज को कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।
कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि बरी आरोपी के खिलाफ राज्य सरकार अपील करेगी।