कैनबरा। तकनीक से लैस होती दुनिया के सामने अनिद्रा चुनौती बन रही है। ऑस्ट्रेलिया के आरएमआईटी यूनिवर्सिटी के शोध में दावा किया गया है कि वाई-फाई और उससे जुड़ी डिवाइस लोगों की नींद खराब कर रही। सात दिन तक दो हजार लोगों पर शोध के बाद ये नतीजा सामने आया है। शोध फ्ंमटियर पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित हुआ है। दावा है कि वाई-फाई डिवाइस जैसे बेबी मॉनिटर, बल्ब समेत अन्य गैजेट्स से निकलने वाले विकिरण से लोगों की नींद का चक्र प्रभावित हो रहा है। इतना ही नहीं डिवाइस से निकलने वाली किरणें बार-बार नींद टूटने की भी वजह बन रही है।
प्रमुख शोधकर्ता डॉक्टर निकोल बिजलस्मा का कहना है कि वाई-फाई और उससे जुड़ी डिवाइस के कारण अनिद्रा रोग का रूप ले रही। डिवाइस से निकलने वाली विकिरण और रोशनी व्यक्ति की 45 से 90 मिनट की नींद खराब कर रही है। लंबे समय तक इस तरह की डिवाइस के संपर्क में रहने से हृदय, पाचन, और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं भी देखने को मिली हैं। वैज्ञानिकों का दावा है कि वाई-फाई और उससे जुड़ी डिवाइस के सामने बैठने से उससे निकलने वाली रोशनी सीधे आंखों पर पड़ती है, इससे आंखों में सूखापन आता है। लंबे समय तक ये रोशनी आंखों पर पड़ती है तो इससे नींद गायब हो सकती है। वैज्ञानिकों के दावे के बाद शोध के नतीजों पर चिंता बढ़ गई है। अभिभावक बच्चों को लेकर ज्यादा चिंतित हैं क्योंकि बच्चों की नींद खराब होने से उनकी पढ़ाई पर बुरा असर पड़ेगा। अमेरिकी स्लीप एक्सपर्ट माइकल जे बेरूस का कहना है कि अनिद्रा बच्चों का बचपन और जवानी दोनों खराब कर सकती है। ऐसे में तकनीक से लैस हो रही दुनिया में सतर्कता जरूरी है। अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ने एक शोध में दावा किया था कि वाई-फाई से लैस डिवाइस टूटती नींद की वजह है। पांच दिन तक 34 युवाओं को डिवाइस के बीच रखने के बाद उनके नींद के चक्र की जांच की गई थी। इससे पता चला था कि युवाओं की नींद तो टूटती ही है। वे जब उठते हैं तो अपने गैजेट्स का प्रयोग करते हैं जो अधूरी नींद का कारण है।