देहरादून। अनीता रावत
हमारे देश के वीर सैनिकों ने आजादी के बाद हर संघर्ष में अप्रतिम शौर्य का परिचय दिया है। जवानों की शहादत के कारण आज हम सुरक्षित हैं। वह सौभाग्यशाली हैं, उन्हें आईटीबीपी जैसे उत्कृष्ट बल में सेवा करने का अवसर प्राप्त हुआ है। यह बातें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आईटीबीपी अकादमी में पासिंग आउट परेड समारोह को संबोधित करते हुए कहीं। उन्होंने कहा कि एक साल के कठिन प्रशिक्षण के बाद 53 सहायक सेनानी (असिस्टेंट कमांडेंड) रविवार को भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल (आईटीबीपी) की मुख्यधारा में शामिल हुए। इसमें 42 असिस्टेंट कमांडेंड जीडी और 11 अभियंता बल के जवान शामिल रहे।
मसूरी स्थित आईटीबीपी अकादमी में रविवार को पासिंग आउट परेड का आयोजन किया गया। परेड की सलामी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ली। सीएम ने सैन्य अधिकारियों को संविधान और निष्ठा एवं समर्पण की शपथ दिलाई गई। समारोह को संबधित करते हुए मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड में आपदा के दौरान सहायता के लिए आईटीबीपी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि 2013 की केदारनाथ आपदा और 2021 में तपोवन आपदा के समय आईटीबीपी की मदद से जान माल की क्षति को काफी हद तक कम किया जा सका। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने सैनिक की वीरता बचपन से देखी है। उनके परिजनों का संघर्ष भी देखा है। उस मां-बाप का दर्द देखा है, जिसका बेटा सीमा पर देश की आन, बान शान के लिए लड़ रहा है। उन बच्चों की सिसकती हुई किलकारियों को सुना है जो अपने पिता से गले मिलने को व्याकुल हों। कितना संघर्ष है एक सैनिक के जीवन में परन्तु इसके बावजूद भी वो दृढ़ता पूर्वक अपने देश के स्वाभीमान को बचाने के लिए हमेशा तत्पर रहता है। परेड के समापन अवसर के बाद अकादमी के निदेशक एवं महानिरीक्षक नीलाभ किशोर ने सभी का आभार व्यक्त किया। इस मौके पर पहली बार यूपीएससी चयन प्रक्रिया सीएपीएफ एसी परीक्षा से आईटीबीपी में शामिल हुईं महिला अधिकारी सहायक कमांडेंट प्रकृति और दीक्षा ने देश सेवा की शपथ ली। आईटीबीपी में 2016 से यूपीएससी के माध्यम से महिला कॉम्बैट अधिकारियों की कंपनी कमांडर के रूप में नियुक्ति शुरू हुई थी।