न्यूयॉर्क।
संयुक्त राष्ट्र की एक उपसमिति ने स्पष्ट कहा कि जुल्म को कभी जायज नहीं ठहरा सकते। उपसमिति का इशारा तालिबान की ओर था।
अफगानिस्तान सत्ता परिवर्तन के बेहद चुनौतीपूर्ण अध्याय में प्रवेश कर चुका है। तालिबान को मुल्क के संचालन में अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का पालना करना चाहिए। उत्पीड़न की रोकथाम के लिए संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की उपसमिति एसपीटी में कार्यरत विशेषज्ञों ने शुक्रवार को यह बात कही। विशेषज्ञों ने तालिबान की हुकूमत में अफगान अवाम के भविष्य और अधिकारों को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि जुल्म को किसी सूरत में जायज नहीं ठहराया जा सकता। फिर चाहे वो युद्ध की स्थिति हो या फिर राजनीतिक अस्थिरता या जन आपातकाल। भेदभाव और उत्पीड़न से सभी नागरिकों की रक्षा करना अफगान सरकार का कर्तव्य होना चाहिए। एसपीटी ने यह भी कहा कि अफगानिस्तान में मानवाधिकार संस्थाओं को स्वतंत्र रूप से काम करने की इजाजत मिलनी चाहिए। यही नहीं, अफगान सरकार को इन संस्थाओं में कार्यरत सभी कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।