इंफाल। मणिपुर के चुराचांदपुर में एसपी और डीसी कार्यालयों वाले सरकारी परिसर में घुसकर प्रदर्शनकारियों ने वाहनों को आग लगा दी और सरकारी संपत्ति में तोड़फोड़ की। पुलिस से झड़प में एक व्यक्ति की मौत हो गई और 30 से अधिक लोग घायल हो गए।
जानकारी के अनुसार एक वीडियो में एक हेड कांस्टेबल को 14 फरवरी को कथित तौर पर हथियारबंद लोगों के साथ देखे जाने के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था। इससे भड़की हिंसा ने सुरक्षा बलों के कई बसों और ट्रकों को आंदोलनकारियों ने जला दिया, क्योंकि सैकड़ों लोग कार्यालय के कमरों में घुस गए और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। बताया जा रहा है कि सुरक्षा बलों ने आंदोलनकारियों को तितर-बितर करने के लिए कई राउंड आंसू गैस के गोले दागे और ‘हल्के घातक अस्त्रों’ का इस्तेमाल किया। अधिकारी वर्तमान में स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए काम कर रहे हैं लेकिन ‘स्थिति बेहद खराब है। प्रत्यक्षदर्शी ने कहा कि एसपी शिवानंद सुर्वे द्वारा हेड कांस्टेबल का निलंबन आदेश विभिन्न सोशल मीडिया समूहों में वायरल होने के तुरंत बाद शाम करीब 7:40 बजे चुराचांदपुर एसपी कार्यालय के सामने बवाल शुरू हो गया। इससे पहले दिन में, मणिपुर पुलिस ने एक्स पर पोस्ट किया था, ‘लगभग 300-400 की संख्या में भीड़ ने आज एसपी सीसीपी के कार्यालय पर धावा बोलने का प्रयास किया, पथराव किया आदि। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आरएएफ सहित एसएफ (सुरक्षा बल) आंसू गैस चलाकर उचित जवाब दे रहे हैं। चीजों पर नजर रखी जा रही है। हेड कांस्टेबल सियामलालपॉल को हथियारबंद लोगों के साथ और गांव के स्वयंसेवकों के साथ बैठने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद ‘अगले आदेश तक तत्काल प्रभाव से निलंबित’ रखा गया है। एक पुलिस आदेश में कहा गया कि अनुशासित पुलिस बल का सदस्य होने के नाते यह बहुत गंभीर कदाचार के समान है। इस बीच, इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) ने इस घटना के लिए एसपी शिवानंद सुर्वे को जिम्मेदार ठहराया है।