लखनऊ। राजेन्द्र तिवारी
यूपी में शहरों में शामिल गांवों में विकास होने तक हाउस टैक्स न लेने और नोटिस नहीं देने का फैसला किया गया। यह फैसला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सोमवार को हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया। इस संबंध में नगर विकास विभाग राहत देने के संबंध में जल्द ही शासनादेश जारी करेगा।
प्रदेश सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने कैबिनेट बैठक के बाद कहा कि किसी जर्जर व अनुपयोगी भवन को ध्वस्त करने या बेचने के मामले में विभाग के प्रमुख व प्रशासकीय विभाग के लिये लागत सीमा बढ़ा दी गई है। विभागाध्यक्ष अब 1 लाख के कीमत के बजाय 5 लाख रुपए की सीमा तक के भवन बेच या गिरा सकते हैं। प्रशासकीय विभागों के लिये यह सीमा 2 लाख से बढ़ा कर 10 लाख कर दी गई है। यहीं नहीं शहरों में शमिल गांवों के विकास होने तक लोगों को टैक्स नहीं देना होगा। उन्होंने बतकाया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रदेश के नौ नगर निगमों का सीमा विस्तार किया गया है। लखनऊ में 88 गांव, वाराणसी 78 गांव, गोरखपुर 31 गांव, प्रयागराज 207 गांव, फिरोजाबाद श्रीराम कालोनी व अयोध्या में 41 गांव शहरी सीमा में शामिल किए गए हैं। इसके साथ ही आगरा, शाहजहांपुर व मथुरा-वृंदावन नगर निगम का सीमा विस्तार किया गया है। इसके अलावा कोंच, खलीलाबाद, महराजगंज, जलालपुर, बेल्हा, सिद्धार्थनगर, कुशीनगर, हाथरस, मंझनपुर व सिसवा बाजार पालिका परिषद का सीमा विस्तार के साथ प्रदेश में कुल 56 नई नगर पंचयतें बनाई गई हैं। इनमें लाखों परिवार मकान बनाकर रहते हैं। शहरी सीमा क्षेत्र में शामिल होने वाले गांवों में बने मकानों, दुकानों और प्रतिष्ठानों से निकाय हाउस टैक्स लेने की तैयारी कर रहे थे। मगर, इनमें अभी तक विकास शुरू नहीं हुआ है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई सोमवार को कैबिनेट की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की गई। अधिकतर मंत्रियों ने तर्क रखा कि विकास होने तक हाउस टैक्स की वसूली स्थगित रखी जाए। मुख्यमंत्री ने इसके आधार पर यह फैसला किया कि विकास होने तक किसी प्रकार का कोई टैक्स न तो लिया जाएगा और न ही लोगों को इस संबंध में कोई नोटिस दिया जाएगा।