वसंत पंचमी स्नान: श्रद्धा का महासंगम, संतों का आशीर्वाद

इलाहाबाद उत्तरप्रदेश लाइव मुख्य समाचार लखनऊ

प्रयागराज। महाकुंभ के अंतिम और तीसरे अमृत स्नान पर्व पर वसंत पंचमी के शुभ अवसर पर संगम तट श्रद्धा और भक्ति की रंगीन छटा में डूबा रहा। रविवार से ही पुण्य की डुबकी लगाने का सिलसिला शुरू हो गया था, लेकिन सोमवार को उदया तिथि में पड़ने के कारण अखाड़ों के संतों ने आज भव्य शाही स्नान किया। भोर से लेकर देर शाम तक लाखों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाते रहे, जिससे गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का पावन संगम भक्ति के सुरों से गुंजायमान हो उठा।
सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम
मौनी अमावस्या पर हुई घटना के मद्देनजर इस बार प्रशासन पूरी तरह सतर्क रहा। संगम तट और अन्य घाटों पर सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए थे, जिससे कोई अप्रिय घटना न हो। संतों की अपील का असर दिखा और श्रद्धालुओं ने संगम के साथ-साथ गंगा के अन्य घाटों पर भी स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित किया। इस दौरान हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा कर संतों और श्रद्धालुओं का भव्य स्वागत किया गया। शाम 6 बजे तक 2.33 करोड़ से अधिक श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा चुके थे, जिससे अब तक के कुल स्नानार्थियों की संख्या बढ़कर 37.30 करोड़ तक पहुंच गई।


धार्मिक आस्था और उत्साह का अनूठा संगम
मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं के सुगम प्रवेश के लिए विशेष मार्ग तैयार किए गए थे। जीटी जवाहर चौराहे से प्रवेश देकर संगम मार्ग तक पहुंचाने की व्यवस्था की गई थी। काली मार्ग होते हुए काली बांध पार कर श्रद्धालु लगभग चार किलोमीटर पैदल चलते हुए संगम तट पहुंचे। कुछ के लिए यह दूरी सात से आठ किलोमीटर की रही, लेकिन आस्था के आगे सबकुछ गौण हो गया। श्रद्धालुओं के चेहरों पर थकान नहीं, बल्कि मां गंगा की गोद में डुबकी लगाने का उत्साह झलक रहा था।
श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब, बारी-बारी से स्नान
मौनी अमावस्या के हादसे के चलते घाटों पर प्रशासन ने अतिरिक्त सावधानी बरती। सुरक्षा व्यवस्था के तहत श्रद्धालुओं को चरणबद्ध तरीके से स्नान कराया गया। श्रद्धालु अपनी बारी का धैर्यपूर्वक इंतजार करते और जैसे ही अवसर मिलता, वे अपने परिजनों को कपड़े और सामान सौंपकर गंगा में आस्था की डुबकी लगा लेते। 89 वर्षीय चंदावती देवी से लेकर 18 वर्षीय वैभव तक, सभी की श्रद्धा समान थी। स्नान के बाद श्रद्धालु सूर्य को अर्घ्य देते और फिर संगम में डुबकी लगाते।


स्नान के बाद भी ऊर्जा से भरपूर श्रद्धालु
श्रद्धालुओं को भली-भांति ज्ञात था कि स्नान के बाद उन्हें फिर से लंबी दूरी तय करनी है, लेकिन किसी को भी इसकी चिंता नहीं थी। छत्तीसगढ़ से आए विक्रमनाथ ने बताया कि वह मकर संक्रांति पर अमृत स्नान करने नहीं आ पाए थे, लेकिन इस बार उन्होंने अवसर नहीं गंवाया। वहीं प्रतापगढ़ से आए कमलकांत ने स्नान के बाद अपने भीतर आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव किया।
भक्ति, श्रद्धा और अध्यात्म का महासंगम
संगम की पुण्यधारा में डुबकी लगाकर श्रद्धालुओं ने वसंत पंचमी का पर्व पूर्ण श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया। प्रशासन की चुस्त व्यवस्था और श्रद्धालुओं की अनवरत आस्था ने इस दिन को और अधिक पवित्र बना दिया। कुम्भ मेले के इस अंतिम अमृत स्नान ने श्रद्धा, भक्ति और अध्यात्म का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया।

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