लखनऊ। प्रिया सिंह
प्रदेश में 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती परीक्षा के मामले में शुक्रवार को लखनऊ हाईकोर्ट में बहस पूरी हो गई अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। उम्मीद है कि इस पर जल्द ही निर्णय आ जाएगा।
न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की एकल सदस्यीय पीठ ने सभी पक्षों की बहस पूरी होने के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया। न्यायालय के समक्ष शिक्षामित्रों की ओर से राज्य सरकार द्वारा सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा- 2019 में क्वालिफाइंग मार्क्स तय करने को चुनौती दी गई है। दरअसल सरकार ने 1 दिसम्बर 2018 को प्रदेश में 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती प्रकिया प्रारम्भ की थी। इसके लिए 6 जनवरी 2019 को लिखित परीक्षा हुई। 7 को सरकार ने सामान्य के लिए 65 ओबीसी के लिए 60 प्रतिशत क्वालिफाइंग मार्क्स तय कर दिये। निर्णय को याचियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है। याचियों का तर्क है कि लिखित परीक्षा के बाद क्वालिफाइंग मार्क्स तय करना, विधि विरुद्ध है। सरकार ने जानबूझ कर क्वालिफाइंग मार्क्स अधिक कर दिया ताकि शिक्षामित्रों को भर्ती से रोका जा सके। न्यायालय ने सरकार को पूर्व की परीक्षा के भांति 45,40 प्रतिशत क्वालिफाइंग मार्क्स रखने के विकल्प के बारे में पूछा था लेकिन सरकार ने निर्णय को सही करार देते हुए कहा कि उसकी मंशा क्वालिटी एजुकेशन की है। दलील दी गई कि 25 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने करीब एक लाख 37 हजार शिक्षामित्रों की सहायक शिक्षकों के रूप में नियुक्ति को रद् करते हुए, उन्हें दो बार भर्ती में वेटेज देने की जो बात कही है, उसका अर्थ यह कत्तई नहीं है कि मेरिट से समझौता किया जाए। सरकार ने अपने जवाब में यह भी कहा है कि सहायक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए पूर्व में हुई परीक्षा में एक लाख सात सौ अभ्यर्थी शामिल हुए थे जबकि इस बार 6 जनवरी 2019 को हुई परीक्षा में चार लाख दस हजार अभ्यर्थी शामिल हुए थे। अभ्यर्थियों की इतनी बड़ी संख्या देखते हुए, क्वालिफाइंग मार्क्स नियत करना आवश्यक हो गया था।