नई दिल्ली। टीएलआई
आखिरकार उसकी सांस थम ही गई। वहीं हुआ जो दरिंदे चाहते थे। उन्नाव रेप पीड़िता जिसे दरिंदों ने जिंदा जलाने की कोशिश की थी, शुक्रवार को सफदरगंज में जिंदगी की जांग हार गई। देर रात अस्पताल में उसकी मौत हो गई। उसकी मौत से सियासदानों को बेशक सियासत को मौका मिल गया लेकिन यह सवाल समाज के सामने भी आ गया कि आखिर ऐसा कब तक चलेगा? कब तक बेटियां जलाई जाएंगी और जिंदगी की जंग हारती जाएंगी। कब तक दरिंदे पैसे और रसूख के दम पर बचते जाएंगे।
सफदरगंज अस्पताल के अनुसार उन्नाव पीड़िता की शुक्रवार शाम से हालत खराब होने लगी थी। रात करीब 11 बजे पर उसे दिल का दौरा पड़ा। रात 11 बजकर 40 मिनट पर उसकी मौत हो गई। पीड़िता के शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल के फोरेंसिक विभाग को सौंप दिया गया है। पीएम के बाद शव उसके परिवार को सौंप दिया जाएगा। पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुलिस को सौंपी जाएगी। बता दें कि पीड़िता ने दिए बयान में कहा था कि वह मामले की सुनवाई के लिए रायबरेली जा रही थी। जब वह गौरा मोड़ के पास पहुंची थी तभी पहले से मौजूद गांव के हरिशंकर त्रिवेदी, रामकिशोर त्रिवेदी, उमेश बाजपेयी और बलात्कार के आरोपी शिवम त्रिवेदी, शुभम त्रिवेदी ने उस पर हमला कर दिया और उस पर पेट्रोल डालकर आग लगा दी। पीड़िता ने आरोप लगाया कि शिवम और शुभम त्रिवेदी ने दिसंबर 2018 में उसे अगवा कर उससे बलात्कार किया था। पुलिस के अनुसार पीड़िता अधजली अवस्था में काफी दूर तक दौड़ कर आयी। प्रत्यक्षदर्शियों ने जब उसे देखा तो पुलिस को इसकी सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने पीड़िता को पहले सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र भेजा जहां से उसे जिला अस्पताल रेफर किया गया। बाद में जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने उसकी स्थिति गंभीर देखते हुए लखनऊ के लिए रेफर कर दिया था। उसके बाद गुरुवार को उसे गंभीर हालत में दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल लाया गया था। वह 90 प्रतिशत तक जल चुकी थी। दिल्ली यातायात पुलिस ने पीड़िता को हवाई अड्डे से सफदरजंग अस्पताल तक ले जाने के लिए ग्रीन कॉरीडोर बनाया था। उसे लखनऊ से दिल्ली एयर एम्बुलेंस के जरिए लाया गया था।