दुबई। यमन के हूती विद्रोहियों ने शुक्रवार को दावा किया कि तेल बंदरगाह रास ईसा पर अमेरिका ने हमला किया। इसमें 74 लोगों की मौत हो गई है और 171 अन्य घायल हुए हैं।
यह हमला 15 मार्च से जारी अमेरिकी हवाई हमलों की शृंखला में सबसे घातक हमलों में से एक था। अमेरिकी सेना की सेंट्रल कमांड ने हमलों की पुष्टि की है, लेकिन हताहतों के बारे में पूछे जाने पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उधर, इजरायली सेना ने बताया कि शुक्रवार को ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों द्वारा इजरायल की ओर एक मिसाइल दागी गई, जिसे सेना ने बीच में ही रोक दिया। सेना ने बताया कि मिसाइल हमले के कारण तेल अवीव और आसपास के इलाकों में सायरन बजने लगे। हूती विद्रोहियों के अल-मसीरा उपग्रह समाचार चैनल ने रास ईसा बंदरगाह पर हमले के बाद की ग्राफिक फुटेज प्रसारित की, जिसमें घटनास्थल पर लाशें बिखरी दिखाई दे रही थीं। उसने कहा कि बंदरगाह पर अर्द्धचिकित्सक और असैन्य कर्मचारी हमले में मारे गए। चैनल ने भी कहा कि हमले से भीषण विस्फोट हुआ और आग लग गई।
सेंट्रल कमांड ने एक बयान में कहा कि अमेरिकी बलों ने ईरान समर्थित हूती आतंकवादियों के लिए ईंधन के स्रोत को खत्म करने और उन्हें अवैध राजस्व से वंचित करने के लिए कार्रवाई की, जिसने 10 से अधिक वर्षों से पूरे क्षेत्र को आतंकित करने के हूती प्रयासों को वित्तपोषित किया है। उसने कहा कि इस हमले का उद्देश्य यमन के लोगों को नुकसान पहुंचाना नहीं था, जो सही मायने में हूती आतंक से मुक्ति और शांति से रहना चाहते हैं। सेंट्रल कमांड ने किसी के भी हताहत होने की बात स्वीकार नहीं की।
अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार चीनी सैटेलाइट कंपनी यमन में हूती विद्रोहियों को लाल सागर में अमेरिकी युद्धपोतों और नौकाओं को निशाना बनाने के लिए तस्वीरें मुहैया करा रही है। मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि ट्रंप प्रशासन ने बीजिंग को कई मौकों पर सूचित किया है कि हूती विद्रोहियों को चांग गुआंग सैटेलाइट टेक्नोलॉजी कंपनी लिमिटेड से खुफिया जानकारी मिल रही है, जो पीएलओ से जुड़े एक वाणिज्यिक संगठन है।
