नई दिल्ली। नीलू सिंह
सुप्रीम कोर्ट ने केरल पुलिस को शुक्रवार को आदेश दिया कि सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने वाली दो महिलाओं को चौबीस घंटे सुरक्षा मुहैया कराई जाए। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एल.एन. राव और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की एक पीठ ने कहा, ‘हम इस रिट याचिका पर सुनवाई को उचित मानते हुए केरल पुलिस को याचिकाकर्ता संख्या-एक (बिंदु) और याचिकाकर्ता संख्या-दो (कनकदुर्गा) को चौबीस घंटे पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश देते हैं। इसके अलावा हम याचिका में उल्लिखित किसी मामले पर विचार नहीं करेंगे।’ पीठ ने कहा कि यदि केरल सरकार अदालत के आदेश के बिना ही महिला श्रद्धालुओं को सुरक्षा मुहैया करा रही है तो अदालती आदेश के बाद भी पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने में कोई नुकसान नहीं है। महिला याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि अदालत को इन याचिकाओं को सबरीमाला मंदिर संबंधी लंबित मामलों से सीधे जोड़ने का आदेश देना चाहिए। पीठ ने इस अनुरोध को खारिज कर दिया।
केरल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया ने कहा कि अब तक 51 महिला श्रद्धालु मंदिर में प्रवेश कर चुकी हैं। सरकार इन महिलाओं को और मंदिर में प्रवेश करने वाले अन्य श्रद्धालुओं को पहले ही पर्याप्त सुरक्षा मुहैया करा रही है। इस पर, महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने के न्यायालय के फैसले की समीक्षा संबंधी याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ताओं के वकील मैथ्यू जे. नेदुम्पारा ने कहा कि मंदिर में किसी भी महिला श्रद्धालु ने प्रवेश नहीं किया है। हालांकि पीठ ने इन सब मामलों पर विचार करने से इनकार कर दिया। उल्लेखनीय है कि 02 जनवरी को सदियों पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए मंदिर में प्रवेश करने वाली एक महिला कनकदुर्गा पर उसकी सास ने हमला किया था। इसके बाद दोनों महिलाओं-42 वर्षीय बिंदु और 44 वर्षीय कनकदुर्गा ने याचिका दायर करके सुरक्षा की मांग की थी। याचिका में प्राधिकारियों को यह निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया गया था कि सभी आयुवर्ग की महिलाओं को बिना किसी रुकावट के मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी जाए और भविष्य में मंदिर में दर्शन की इच्छा रखने वाली महिलाओं को पुलिस सुरक्षा दिए जाने समेत उनका सुरक्षित प्रवेश सुनिश्चित किया जाए। इसमें महिला के जीवन एवं स्वतंत्रता को खतरे का भी जिक्र किया गया है।