नई दिल्ली। कर्नाटक में दो विधायकों आर शंकर व एच नागेश के सरकार से समर्थन वापसी के बाद राजनीतिक स्थिति रोचक हो गई है। इससे सरकार पर ज्यादा असर तो नहीं पड़ेगा, लेकिन कांग्रेस व जेडीएस का अंदरूनी असंतोष बाहर आया तो सत्ता समीकरण बदल सकते हैं। भाजपा अपने सभी 104 विधायकों के साथ दिल्ली के पास हरियाणा के नूंह के एक रिसोर्ट में डेरा डाले हुए हैं। वह अपने कुनबे तो टूट से बचाए रखने के साथ राज्य में सारी संभावनाओं को टटोल रही हैं।
मिली जानकारी के अनुसार कर्नाटक की कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार से मंगलवार को दो विधायकों ने समर्थन वापस ले लिया है। दोनों ने भाजपा के साथ जाने का फैसला किया है। इसके साथ ही राज्य की राजनीति में शह और मात का खेल और तेज हो गया है। एच नागेश (निर्दलीय) और आर शंकर (केपीजेपी) ने राज्यपाल वजुभाईवाला को पत्र लिख इस फैसले से अवगत कराया है। अलग-अलग पत्रों में विधायकों ने कहा कि वे सात माह पुरानी एचडी कुमारस्वामी सरकार से समर्थन तत्काल प्रभाव से वापस ले रहे हैं।
भाजपा व सत्तारूढ़ कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के नेताओं ने मंगलवार को भी एक दूसरे पर तोड़ फोड़ के आरोप लगाए हैं। हालांकि टूट-फूट से बचाए रखने के लिए दोनों पक्ष अपने अपने दावे कर रहे है। भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा ने अपने विधायकों के साथ बैठक में कहा कि जल्दी ही खुशखबरी आने वाली है। माना जा रहा है दोनों पक्ष अपने खेमों को टूट से बचाने के लिए ऐसे दावे कर रहे हैं। भाजपा आलाकमान कर्नाटक की स्थिति पर करीबी नजर रखे हैं। सूत्रों के अनुसार केंद्रीय नेतृत्व ने इस मामले में अति आत्मविश्वास से बचने की सलाह दी है। बीते साल विधानसभा चुनाव नतीजे आने पर भी भाजपा ने सरकार बना ली थी, लेकिन वह विश्वास मत पर जरूरी बहुमत नहीं जुटा सकी थी। 224 सदस्सीय विधानसभा में एक मनोनीत विधायक को मिलाकर संख्या 225 हो जाती है। ऐसे में बहुमत का आंकड़ा 113 पर है। भाजपा के पास 104 विधायक है, जबकि कांग्रेस के 79 व जद (एस) के 37 विधायकों से उनके पास पूरा बहुमत है। ऐसे में जब तक बड़ी तोड़ फोड़ नहीं होती है, सरकार को खतरा नहीं है।