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शैक्षणिक गतिविधियों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका पर कार्यशाला आयोजित
हल्द्वानी, गौरव जोशी।
शैक्षणिक गतिविधियों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की उपयोगिता पर आयोजित कार्यशाला में प्राचार्य प्रो. आभा शर्मा ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शिक्षा ही नहीं समाज में भी क्रांति लाएगा।
महिला महाविद्यालय, हल्द्वानी में सोमवार को राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) के तत्वावधान में “शैक्षणिक गतिविधियों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की उपयोगिता” विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य छात्राओं को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका, उसकी उपयोगिता और शैक्षणिक क्षेत्र में इसके संभावित लाभों से अवगत कराना था। इस कार्यशाला का शुभारंभ महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. आभा शर्मा ने किया। उन्होंने अपने उद्घाटन भाषण में कहा, वर्तमान युग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शिक्षा क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन ला रहा है। यह न केवल शिक्षण प्रक्रियाओं को आसान बना रहा है, बल्कि छात्राओं की सीखने की क्षमता को भी बढ़ा रहा है। इस प्रकार की कार्यशालाएँ छात्राओं के समग्र विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इस अवसर पर एनएसएस प्रभारी डॉ. रितुराज पंत ने एनएसएस की भूमिका और इस कार्यशाला के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि, एआई के उपयोग से छात्राएँ अपनी अध्ययन विधियों को अधिक आधुनिक और प्रभावी बना सकती हैं। एआई आधारित टूल्स से सीखने की प्रक्रिया सरल और रोचक बनती है, जिससे ज्ञान अर्जन में वृद्धि होती है। जीआईसिटी (GICTI) के मार्केटिंग प्रबंधक पवन कुमार ने एआई के व्यावहारिक पहलुओं पर चर्चा करते हुए बताया कि चैटबॉट्स, डेटा एनालिटिक्स, एआई टूल्स और मशीन लर्निंग तकनीकों का उपयोग शिक्षण और शोध कार्यों में कैसे किया जा सकता है। उन्होंने छात्राओं को एआई के विविध अनुप्रयोगों से अवगत कराया और उन्हें इस उभरती तकनीक के महत्व को समझने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. गीता पंत द्वारा किया गया। उन्होंने कार्यशाला के दौरान उपस्थित छात्राओं को एआई से जुड़ी नई जानकारियाँ प्रदान कीं और उनके जिज्ञासु प्रश्नों के उत्तर दिए।
इस दो दिवसीय कार्यशाला में एनएसएस स्वयंसेवियों ने बड़े उत्साह के साथ भाग लिया और एआई के विभिन्न शैक्षणिक अनुप्रयोगों पर विस्तृत चर्चा की। छात्राओं ने एआई तकनीकों को अपने शिक्षण पद्धतियों में शामिल करने के तरीकों पर अपने अनुभव साझा किए और इस विषय में गहरी रुचि दिखाई। उन्होंने यह भी जाना कि कैसे एआई व्यक्तिगत शिक्षण अनुभव को बेहतर बनाकर ज्ञान ग्रहण करने की क्षमता को बढ़ाता है। इस अवसर पर महाविद्यालय के कई शिक्षकों और कर्मचारियों की उपस्थिति रही, जिनमें बद्रीश कुमार, सुमित मौर्या, इंजीनियर पहुप जैन सहित अन्य प्रतिष्ठित शिक्षक एवं कर्मचारी शामिल थे।
एआई और शिक्षा का भविष्य
यह कार्यशाला शिक्षा जगत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बढ़ते प्रभाव को रेखांकित करती है। आज के डिजिटल युग में एआई शिक्षकों और छात्रों दोनों के लिए एक क्रांतिकारी उपकरण बन चुका है। कार्यशाला के अंत में विशेषज्ञों ने छात्राओं को एआई तकनीकों से जुड़ने और अपने अध्ययन में इसे अपनाने की सलाह दी, जिससे वे आधुनिक शिक्षा प्रणाली के अनुरूप खुद को विकसित कर सकें।